INS Vikrant से राजनाथ का कड़ा संदेश: ‘इस बार ओपनिंग नेवी से हो सकती है’
मुंबई: भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मुंबई स्थित भारत के स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत से पाकिस्तान को दो टूक चेतावनी दी है। उन्होंने आतंकवाद, पाकिस्तान की दोहरी नीति और भारत की नौसैनिक क्षमता को लेकर स्पष्ट संदेश दिया कि अगली बार कोई कार्रवाई हुई तो उसकी ‘ओपनिंग’ भारतीय नौसेना के हाथों से होगी। उनके शब्दों ने भारत की ‘साइलेंट सर्विस’ के तेज़ प्रहार का संकेत दुनिया को दे दिया।
INS विक्रांत से राष्ट्र के नाम संदेश

राजनाथ सिंह का यह संबोधन सिर्फ नौसेना या रक्षा प्रतिष्ठान के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश और विशेषकर पाकिस्तान के लिए एक सख्त चेतावनी थी। उन्होंने INS विक्रांत पर कहा:
“जो खामोश रहकर भी किसी देश की फौज को ‘बोतल में बंद’ रख सकता है, वो जब बोलेगा, तो क्या नजारा होगा?”
यह वाक्य भारतीय नौसेना की न केवल शौर्यगाथा का प्रतीक था बल्कि एक रणनीतिक संकेत भी।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर गर्व

हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जिक्र करते हुए उन्होंने नौसेना की योजना, रणनीति और साहस की जमकर सराहना की। इस ऑपरेशन के जरिए भारत ने यह दर्शा दिया कि अगर जरूरत पड़ी, तो समुद्र की खामोशी भी आंधी में बदल सकती है।

पाकिस्तान को दी सीधी चेतावनी
राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को साफ कहा कि:
“अब आतंकवाद की मियाद खत्म हो चुकी है। अगर पाकिस्तान किसी भी प्रकार की हरकत करेगा, तो परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।”
उन्होंने यह भी कहा कि इस बार भारतीय नौसेना ‘सिर्फ सपोर्ट रोल’ में नहीं, बल्कि ‘लीड रोल’ में आ सकती है।

हाफिज सईद और तहव्वुर राणा का मुद्दा
रक्षा मंत्री ने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और आरोपी तहव्वुर राणा का उल्लेख करते हुए पाकिस्तान से सवाल किया कि क्या वह सच में इंसाफ चाहता है या आतंकवाद को शह देना जारी रखना चाहता है। उन्होंने कहा:
“हाफ़िज़ सईद का पाकिस्तान में रहकर खुलेआम घूमना यह बताता है कि वहां इंसाफ नहीं हो सकता।”
भारत में तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को उन्होंने इंसाफ की दिशा में एक सही कदम बताया।

बातचीत तभी, जब मुद्दा हो आतंकवाद और POK
पाकिस्तान की बार-बार की बातचीत की पेशकश को लेकर राजनाथ सिंह ने भारत का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने दो टूक कहा:
“बातचीत अगर होगी तो आतंकवाद और PoK पर होगी। अगर पाकिस्तान वाकई गंभीर है, तो उसे हाफिज सईद और मसूद अज़हर जैसे आतंकियों को भारत के हवाले करना चाहिए।”
नौसेना की ‘साइलेंट स्ट्रेंथ’ की महाशक्ति
INS विक्रांत जैसे स्वदेशी विमानवाहक पोत से दिया गया यह संदेश इस बात को स्पष्ट करता है कि भारतीय नौसेना अब केवल रक्षात्मक भूमिका में नहीं, बल्कि सामरिक और रणनीतिक मोर्चे पर भी अग्रणी भूमिका में है।
“हमारी नेवी समंदर की तरह शांत जरूर है, लेकिन उसमें सुनामी लाने की ताकत भी है।”
INS विक्रांत का दौरा और उसका मंच बनकर राजनाथ सिंह का यह भाषण इस बात की पुष्टि करता है कि भारत अब सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं देगा, बल्कि पहले वार करने की क्षमता और मानसिकता भी रखता है।
INS विक्रांत का महत्व
INS विक्रांत न केवल भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की मिसाल भी है। इस पर भाषण देना केवल सैन्य संदेश नहीं, बल्कि एक कूटनीतिक रणनीति भी है — जिससे विश्व और खासकर पाकिस्तान को भारत के सैन्य-साहस और स्वदेशी ताकत का एहसास हो।
संदेश स्पष्ट: अब भारत चुप नहीं रहेगा
राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि भारत अब ‘रणनीतिक चुप्पी’ की नीति से आगे निकल चुका है। अब अगर कोई हमला होता है या कोई नापाक हरकत की जाती है, तो भारत जवाबी कार्रवाई की बजाय पहले से तैयारी के साथ सामने आएगा — और वह भी नेवी की ओपनिंग से।
INS विक्रांत से रणनीतिक संकेत: सख्त रुख की शुरुआत

रक्षा मंत्री का यह बयान केवल एक भाषण नहीं, बल्कि भारत की बदलती रक्षा नीति का प्रतिबिंब है। पहले भारत की नीति अधिकतर ‘रिएक्टिव’ होती थी — यानी जब हमला होता, तभी जवाब दिया जाता। लेकिन अब भारत ‘प्रो-एक्टिव’ यानी पहले से तैयार और निर्णायक कार्रवाई करने की नीति अपना रहा है।
भारतीय नौसेना को लंबे समय से ‘साइलेंट सर्विस’ कहा जाता है। इसके ऑपरेशन्स की जानकारी अक्सर सामने नहीं आती, लेकिन इसका असर गहरा होता है। INS विक्रांत से दिया गया यह संदेश इस धारणा को बदलने का संकेत है कि भारत अब समुद्र के माध्यम से भी स्पष्ट राजनीतिक और सैन्य संदेश देने की नीति अपनाने को तैयार है।
वैश्विक स्तर पर भारत का कड़ा रुख
राजनाथ सिंह का यह बयान केवल पाकिस्तान तक सीमित नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया को समझना होगा कि भारत अब आतंकवाद, सीमा उल्लंघन या किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ को बर्दाश्त नहीं करेगा। चीन, जो कि समुद्री क्षेत्र में लगातार विस्तारवाद दिखा रहा है, उसके लिए भी यह एक अप्रत्यक्ष संदेश था।
भारतीय नौसेना का विस्तार और आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते कदम इस रणनीतिक सोच का हिस्सा हैं। INS विक्रांत, INS विशाखापत्तनम, P-75I सबमरीन प्रोजेक्ट जैसे प्रयास केवल सामरिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक दबाव बनाने की शक्ति भी हैं।
INS विक्रांत: भारत की समुद्री शक्ति का प्रतीक
INS विक्रांत, भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत, देश की तकनीकी क्षमता और आत्मनिर्भरता का प्रमाण है। इस युद्धपोत में आधुनिक रडार, हथियार प्रणाली, और लड़ाकू विमानों की तैनाती की सुविधा है। इससे भारतीय नौसेना को ‘ब्लू वॉटर नेवी’ के रूप में देखा जाने लगा है, जो किसी भी महासागर में ऑपरेशन कर सकती है।
INS विक्रांत पर राजनाथ सिंह का भाषण इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे उस स्थान से दिया गया, जहां से कार्रवाई की शुरुआत संभव है। उन्होंने इस युद्धपोत को भारत की सुरक्षा की पहली दीवार बताया।
मनोबल भी बढ़ा, संदेश भी दिया
रक्षा मंत्री के इस दौरे ने भारतीय नौसेना के जवानों और अधिकारियों का मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ाया है। उनके शब्दों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि सरकार सैनिकों के पीछे मजबूती से खड़ी है। सैनिकों को यह विश्वास दिलाना बेहद ज़रूरी था कि उनके बलिदान और सेवा को केवल सीमित सुरक्षा तक नहीं, बल्कि रणनीतिक निर्णयों में अहम भूमिका दी जा रही है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत अब उस दौर में नहीं है जब वह केवल कूटनीति और शांतिपूर्ण अपील से काम चला लेता था। अब भारत के पास विकल्प भी हैं और उन्हें उपयोग करने की इच्छा शक्ति भी।
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