Shubhanshu Journey to Space: आज 4:30 PM पर होगा Big Docking Moment – भारत बोलेगा ‘जय हिंद!’ Axiom-4 मिशन के तहत 4 अंतरिक्ष यात्रियों की टीम के साथ शुभांशु शुक्ला का अभियान अब इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के बेहद करीब है। यहां पढ़ें इस अंतरिक्ष यात्रा की हर लाइव जानकारी।
Shubhanshu Shukla Axiom -4 Mission LIVE : भारत का बेटा इतिहास रचने को तैयार, स्पेस स्टेशन से बस कुछ ही दूर
भारत के युवा वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला इस समय अंतरिक्ष में एक ऐतिहासिक मिशन की ओर अग्रसर है। उनका नाम आज न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। Axiom-4 मिशन के तहत वह तीन अंतरिक्ष यात्रियों के साथ एक ऐसे अभियान पर निकले हैं, जो विज्ञान, तकनीक और भारत के अंतरिक्ष यात्रा के लिए मिल का पत्थर साबित हो सकता है।
शुभांशु शुक्ला के उड़ान का आगाज
बुधवार 25 जून को अमेरिका के फ्लोरिडा राज में स्थित NASA के Kennedy Space center से SpaceX के Falcon 9 रॉकेट ने Axiom – 4 मिशन को लेकर उड़ान भरी। इस रॉकेट के अंदर मौजूद था SpaceX का Dragon spacecraft, जिसमें सवार थे कुल 4 अंतरिक्ष यात्री – जिनमें भारत के गर्व शुभांशु शुक्ला भी शामिल है।
SpaceX की अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और प्राइवेट स्पेस मिशन के क्षेत्रों में अनुभव के साथ यह लॉन्च बिल्कुल सफल रहा। उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों में यह spacecraft पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया है और अब यह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ISS की ओर बढ़ रहा है।

मिशन का उद्देश्य और खासियत
Axiom-4 मिशन, Axiom Space द्वारा संचालित एक निजी अंतरिक्ष मिशन है, जिसका मकसद है अंतरिक्ष में रिसर्च, तकनीकी परीक्षण और भविष्य के व्यावसायिक space travel को मजबूत करना। इस मिशन के माध्यम से अंतरिक्ष यात्री ISS पर वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, नई तकनीक का परीक्षण करेंगे और भविष्य में चंद्रमा व मंगल जैसे विष्णु के लिए जरूरी अनुभव भी जुटाएंगे।
शुभांशु शुक्ला जैसे युवा वैज्ञानिको की मौजूदगी यह दर्शाती हैं कि अब भारत भी स्पेस साइंस में ग्लोबल लीडरशिप की ओर से तेजी से बढ़ रहा है।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से डॉकिंग
Axiom -4 मिशन का यह सफर आज, गुरुवार, 26 जून को शाम 4:30 बजे एक नया मोड़ लेगा, जब dragon spacecraft इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से डॉक करेगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह से ऑटोमेटेड है, लेकिन उसमें वैज्ञानिकों की निगरानी और टीम वर्क का भी अहम रोल होता है।
Docking का मतलब है कि स्पेसक्राफ्ट पूरी तरह से ISS से जुड़ जाएगा, ताकि मिशन के सदस्य स्पेस स्टेशन में प्रवेश कर सकें और अपने अनुभव की शुरुआत कर सकें।
भारत के लिए गर्व का क्षण
भारत के लिए यह क्षण बेहद गर्व भरा है। शुभांशु शुक्ला जैसे युवा वैज्ञानिक आज देश का नाम अंतरिक्ष की ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं। यह न केवल एक यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारत के उस सपने की उड़ान है जो वर्षों से वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों और युवा पीढ़ी के दिलों में पल रहा है।
इस मिशन के जरिए भारत के युवा वैज्ञानिको को यह संदेश मिलेगा कि वे अंतरिक्ष में जा सकते हैं, और यह कोई असंभव सपना नहीं रहा।

सोशल मीडिया पर दिखा जोश
Shubhanshu Shukla का इस ऐतिहासिक मिशन को लेकर सोशल मीडिया पर भारी उत्साह दिखा जा रहा है। लोग उन्हें बधाईयां दे रहे हैं और गर्व से कह रहे हैं – जय हिंद!
Axiom -4 मिशन टाइमलाइन: जाने अब अंतरिक्ष में आगे क्या- क्या होगा
Shubhanshu Shukla और उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ Axiom-4 मिशन अब अपने अगले अहम चरणों की और बढ़ चुका है। SpaceX के माध्यम से लॉन्च हुए इस मिशन की हर गतिविधि को दुनियाभर के लोग उत्सुकता से फ़ॉलो कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि आगे इस मिशन में कौन कौन से अहम पड़ाव आने वाले हैं
ISS से मिशन को ले कर SpaceX का Dragon spacecraft भारतीय समयानुसार गुरुवार, 26 जून को शाम 4:30 बजे इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ISS से जुड़ेगा। इस प्रक्रिया को Docking कहा जाता है। इसका अर्थ होता है – जब अंतरिक्ष यान, ISS से पूरी तरह से जुड़ जाता हैं ताकि क्रू मेंबर्स आसानी से स्टेशन के भीतर प्रवेश कर सकें।
लगभग 28 घंटे की उड़ान और पृथ्वी की कक्षा में कई बार घूमने के बाद Dragon यान Space station की ओर सफलतापूर्वक अपनी गति को धीमा कर Docking point तक पहुंचता है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से नियंत्रित और सटीक होती है, क्योंकि किसी भी छोटी गलती से पूरे मिशन पर असर पड़ सकता है।
ISS पर 14 दिन का रिसर्च फेज
Docking के बाद मिशन का सबसे अहम हिस्सा शुरू होगा – यानी अंतरिक्ष में वैज्ञानिक शोध और प्रयोग। Axiom -4 मिशन के चारों अंतरिक्ष यात्री इंटरनेशनल Space station पर लगभग 14 दिनों तक रुकेंगे। इस दौरान वे 60 से भी ज्यादा वैज्ञानिक प्रयोग ( experiments) को अंजाम देंगे।
Axiom मिशनों में अब तक का सबसे बड़ा एक्सपेरिमेंट सेशन
Axiom-4 मिशन के तहत ISS पर किया जाने वाला यह प्रयोगात्मक कार्य अब तक के सभी Axiom मिशनों में सबसे बड़ा माना जा रहा है। पहले के मुकाबले इस बार न सिर्फ एक्सपेरिमेंट्स की संख्या ज्यादा है, बल्कि इनका फोकस भविष्य की स्पेस मेडिकल साइंस और अंतरिक्ष यात्रा को आसान बनाने पर है।

भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण
Shubanshu shukla की मौजदूगी इस मिशन को भारतीयों के लिए खास बना देती हैं। यह न सिर्फ देश के युवाओं को प्रेरित करेगा, बल्कि भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में वैश्विक साझेदारी के लिए अधिक मजबूत देगा।
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