लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) अदाणी ग्रुप (Adani Group) को लेकर लगाए गए अपने आरोपों को लेकर चर्चा में हैं। उनकी बेबुनियाद बातों को न सिर्फ बाजार, बल्कि देश की जनता ने भी खारिज कर दिया है। जहां अदाणी ग्रुप पर अंतरराष्ट्रीय निवेशक कंपनियों का भरोसा बढ़ता जा रहा है, वहीं राहुल गांधी अपनी राजनीतिक चूकों के कारण सवालों के घेरे में हैं।
1. अदाणी ग्रुप पर बेबुनियाद आरोप
राहुल गांधी ने अदाणी ग्रुप पर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। लेकिन अदाणी ग्रीन एनर्जी की स्टॉक फाइलिंग से साफ हो गया कि ये आरोप पूरी तरह से गलत हैं। इसके बावजूद, राहुल ने देश और बाजार की साख को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की।
2. हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर भरोसा
हिंडनबर्ग की संदिग्ध रिपोर्ट को राहुल गांधी ने सच मान लिया, जबकि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने अदाणी ग्रुप को क्लीनचिट दी। इस तरह के कदमों से न सिर्फ निवेशकों को नुकसान हुआ, बल्कि देश की औद्योगिक छवि भी धूमिल हुई।
3. औद्योगिक वातावरण को खराब करने की कोशिश
राहुल गांधी ने विदेशी साजिश का हिस्सा बनकर, सेबी और सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्थाओं पर भरोसा न करने का माहौल बनाया। इससे न सिर्फ करोड़ों निवेशकों को नुकसान पहुंचा, बल्कि औद्योगिक विकास में बाधा भी आई।
4. सेबी और सुप्रीम कोर्ट पर सवाल
हिंडनबर्ग के आरोपों के बाद राहुल गांधी ने सेबी और सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए। यह कदम न सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना था, बल्कि इससे जनता के बीच भ्रम और संदेह का माहौल बना।
5. HAL पर लगाए झूठे आरोप
राहुल गांधी ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को बर्बाद करने का आरोप लगाया, जबकि हकीकत यह है कि HAL के शेयर पिछले पांच सालों में पांच गुना बढ़े हैं। इस तरह के बयान देश की सुरक्षा और औद्योगिक छवि को कमजोर करते हैं।
6. राफेल डील में बेबुनियाद आरोप
राफेल डील में कमीशनखोरी का आरोप लगाकर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नजरअंदाज किया। इस तरह के आरोप न सिर्फ देश की सुरक्षा तैयारियों को बाधित करते हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि भी खराब करते हैं।
7. संविधान पर सियासत
राहुल गांधी ने संविधान और आरक्षण खत्म करने के प्रयास का आरोप लगाया, जिसे जनता ने बार-बार नकारा है। इस तरह के बयानों ने विपक्षी एकता को कमजोर किया और लोकतंत्र के प्रति अविश्वास का माहौल बनाया।
राहुल गांधी से उठे 7 बड़े सवाल
- जब रिश्वतखोरी में अदाणी का नाम ही नहीं, तो राहुल गांधी ने यह आरोप क्यों लगाया?
- क्या राहुल गांधी अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा बन गए हैं?
- हिंडनबर्ग केस में नुकसान निवेशकों को हुआ, मुनाफा शॉर्ट सेलर्स ने कमाया। राहुल गांधी क्यों शामिल हुए?
- क्या राहुल गांधी का उद्देश्य देश की छवि को खराब करना है?
- क्या सेबी और सुप्रीम कोर्ट पर सवाल उठाकर राहुल गांधी ने संस्थागत छवि को नुकसान पहुंचाया?
- HAL और राफेल पर झूठे आरोप लगाने से राहुल को क्या मिला?
- क्या भ्रम फैलाने वाला व्यक्ति विपक्ष के नेता जैसे संवैधानिक पद पर होना चाहिए?
निवेशकों का अदाणी ग्रुप पर भरोसा
अदाणी ग्रुप पर राहुल गांधी के आरोपों के बावजूद अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने ग्रुप पर विश्वास जताया है। GQG जैसे निवेशक अदाणी की ग्रोथ स्टोरी का समर्थन कर रहे हैं। बाजार में शेयरों की बढ़ती कीमतें इस बात का सबूत हैं।
एक्सपर्ट की राय
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी कहते हैं, “राहुल गांधी के आरोपों का कोई आधार नहीं है। इससे केवल देश और बाजार को नुकसान हो रहा है।”
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि राहुल गांधी के बयानों ने पश्चिमी साजिशों को बल दिया है, जिसका सीधा असर भारत के आर्थिक विकास पर पड़ा है।