Bhan Kumari Mayawati क्या करना है, क्या नहीं? मायावती ने भतीजे आकाश आनंद के लिए खींची ‘लक्ष्मण रेखा’, चंद्रशेखर पर भी बोला तीखा हमला
मायावती की सख्ती और रणनीति

बहुजन समाज पार्टी (BSP) की सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया है। लेकिन इस बार वो पूरी तरह सतर्क हैं। उन्होंने न केवल आकाश आनंद को लेकर सीमाएं तय की हैं बल्कि साफ-साफ शब्दों में निर्देश दिया है कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं।
मायावती की इस कार्रवाई को पार्टी के अंदरूनी संतुलन बनाए रखने की कोशिश माना जा रहा है। इस कदम के जरिए वो यह संकेत देना चाह रही हैं कि पार्टी में अनुशासन सर्वोपरि है और चाहे वह उनका भतीजा ही क्यों न हो, हर किसी को पार्टी के नियमों का पालन करना होगा।
आकाश आनंद को लेकर नया दिशा-निर्देश

बसपा सूत्रों के अनुसार, आकाश आनंद को अब केवल इनडोर मीटिंग करने की अनुमति होगी। वो किसी भी सार्वजनिक मंच पर भाषण नहीं देंगे, जब तक कि वह मायावती की उपस्थिति में कोई बड़ी जनसभा न हो। इसका मतलब साफ है कि अब उनके तीखे भाषण, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में चर्चा का विषय बने थे, शायद सुनाई न दें।
इससे पहले लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आकाश आनंद को मायावती ने अचानक अपरिपक्व कहकर उनके पद से हटा दिया था। लेकिन चुनावों के बाद उन्हें दोबारा पार्टी में शामिल कर नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया गया।
मीडिया से दूरी बनाना जरूरी
आदेशों के अनुसार, आकाश आनंद अब मीडिया को कोई इंटरव्यू भी नहीं देंगे। पिछले साल उन्होंने बड़े-बड़े मीडिया हाउसेज़ को इंटरव्यू दिए थे, जिनमें उनकी अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों में संवाद करने की क्षमता की खूब तारीफ हुई थी। यह इंटरव्यू उनकी छवि निर्माण में सहायक रहे लेकिन मायावती अब चाहती हैं कि पार्टी की आवाज सिर्फ वही बनें।
बसपा नेतृत्व को लगता है कि आकाश आनंद की आक्रामक शैली कार्यकर्ताओं को पार्टी लाइन से भटका सकती है। इसलिए उनके सभी सार्वजनिक संवादों पर फिलहाल रोक लगा दी गई है।
चंद्रशेखर पर तीखा हमला

मायावती ने इस बहाने आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद पर भी निशाना साधा। उन्होंने अपने ट्वीट में चंद्रशेखर को ‘बरसाती मेंढक’ बताया और कहा कि ऐसे अवसरवादी लोग बहुजन हितों के लिए खतरा हैं।
चंद्रशेखर ने हाल ही में लखनऊ में एक सभा में कहा था कि “आकाश को जनता ने नकार दिया है और बसपा प्रमुख के पास कोई विकल्प नहीं बचा है। हमारे दल के पास ही बाबा साहेब और कांशीराम के मिशन को आगे बढ़ाने की ताकत है।”
इसके जवाब में मायावती ने कहा, “कांग्रेस, बीजेपी, सपा और अन्य पार्टियों के इशारे पर चलने वाले बरसाती मेंढक समाज का कुछ नहीं कर सकते। ये सिर्फ निजी स्वार्थ के लिए लड़ते हैं।”
बुआ-भतीजे का नया समीकरण
बावजूद इन सख्त निर्देशों के, मायावती ने यह भी साफ किया है कि उन्हें आकाश आनंद पर भरोसा है। उन्होंने ट्वीट में कहा कि पार्टी को उम्मीद है कि आकाश आनंद पूरी ईमानदारी और निष्ठा से बाबा साहेब और कांशीराम के मिशन को आगे बढ़ाएंगे।
उन्होंने यह भी दोहराया कि पार्टी हित में कभी-कभी लोगों को हटाना पड़ता है, और पश्चाताप करने वालों को दोबारा मौका देना भी पार्टी की परंपरा रही है।
पार्टी की नीति पर स्पष्टता

यह पूरा घटनाक्रम बसपा की नीतिगत स्थिरता और अनुशासन को दर्शाता है। मायावती चाहती हैं कि पार्टी में नेतृत्व एक हाथ में हो और किसी भी किस्म की गुटबाजी या असंतुलन की कोई गुंजाइश न रहे।
उनके मुताबिक बसपा देश की एकमात्र सच्ची अंबेडकरवादी पार्टी है, और यह पार्टी अवसरवादियों की जगह नहीं है। जो लोग पार्टी के अनुशासन में रहकर कार्य नहीं कर सकते, उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।
चंद्रशेखर बनाम बसपा: भविष्य की चुनौती?

चंद्रशेखर आजाद की पार्टी और बसपा के बीच लगातार बयानबाजी बढ़ती जा रही है। चंद्रशेखर की बढ़ती लोकप्रियता बसपा के लिए चुनौती बन सकती है, विशेष रूप से युवा वोटरों के बीच।
मायावती के आक्रामक तेवर यह दिखाते हैं कि वो अब किसी को भी पार्टी के मिशन से भटकाने की इजाजत नहीं देंगी, चाहे वो बाहर से हो या भीतर से।
मायावती ने भतीजे आकाश आनंद के लिए खींची लक्ष्मण रेखा, तय किए कायदे-कानून
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने एक बार फिर अपने भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद पर बहाल किया है। लेकिन इस बार उन्हें यह जिम्मेदारी कुछ शर्तों के साथ सौंपी गई है। मायावती ने स्पष्ट कर दिया है कि अब आकाश आनंद केवल संगठन के आंतरिक कार्यों तक सीमित रहेंगे और सार्वजनिक मंचों पर भाषण नहीं देंगे।
आकाश आनंद का राजनीतिक करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया गया था। कारण था—उनकी आक्रामक और आग उगलती शैली में दिए गए भाषण, जो पार्टी की मूल विचारधारा से मेल नहीं खाते थे। हालांकि, चुनावों के बाद एक बार फिर उन्हें पार्टी में जगह मिली लेकिन इस बार मायावती ने उनके लिए कुछ सख्त नियम तय किए हैं।
सार्वजनिक भाषणों पर लगी रोक
सूत्रों की मानें तो अब आकाश आनंद किसी भी पब्लिक मीटिंग या रैली में स्वतंत्र रूप से भाषण नहीं दे सकेंगे। वे केवल मायावती की मौजूदगी में जनसभाओं में भाग लेंगे और संगठन की इनडोर बैठकों में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।
यह फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि चुनाव प्रचार के दौरान आकाश आनंद की रैलियों में काफी भीड़ उमड़ती थी और उनके भाषणों को सोशल मीडिया पर भी खूब सराहा गया था। बावजूद इसके, बसपा नेतृत्व को यह डर सताने लगा था कि उनके भाषण पार्टी लाइन से हट सकते हैं और इससे कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
मीडिया से दूरी बनाए रखने के निर्देश
मायावती ने यह भी निर्देश दिए हैं कि आकाश आनंद मीडिया को कोई भी इंटरव्यू न दें। गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों के समय आकाश आनंद ने कई मीडिया हाउस को इंटरव्यू दिए थे, जिनमें उनकी प्रभावशाली हिंदी और अंग्रेजी बोलने की शैली ने उन्हें खासा लोकप्रिय बना दिया था। लेकिन अब उन्हें इन सब गतिविधियों से दूर रहने के निर्देश दिए गए हैं।
मायावती का ट्वीट वार
मायावती ने सोमवार को एक के बाद एक कई ट्वीट कर आकाश आनंद को लेकर अपनी रणनीति साफ की। उन्होंने कहा, “बीएसपी बहुजन हित की एकमात्र अंबेडकरवादी पार्टी है। पार्टी हित में लोगों पर कार्रवाई और पश्चाताप करने पर उन्हें वापस लेने की परंपरा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि आकाश आनंद अब पूरी निष्ठा से बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के सपनों को साकार करने में लगेंगे।
चंद्रशेखर आजाद पर सीधा निशाना
मायावती के इन ट्वीट्स के जरिए आजाद समाज पार्टी के नेता और सांसद चंद्रशेखर आजाद पर भी अप्रत्यक्ष हमला किया गया। चंद्रशेखर ने हाल ही में लखनऊ में एक सम्मेलन के दौरान आकाश आनंद को नकारा हुआ बताया था।
उन्होंने कहा था कि मायावती के पास कोई विकल्प नहीं बचा था इसलिए मजबूरी में आकाश को वापस लाया गया। चंद्रशेखर का यह भी दावा था कि अब अंबेडकर और कांशीराम के मिशन को उनकी पार्टी ही आगे बढ़ाएगी।
इसके जवाब में मायावती ने ट्वीट किया, “कांग्रेस, भाजपा और सपा के इशारे पर चलकर बहुजन एकता को कमजोर करने वाले बरसाती मेंढकों से सावधान रहना जरूरी है। ये लोग चाहे विधायक बन जाएं या मंत्री, समाज का भला नहीं कर सकते।”
बुआ का भतीजे पर भरोसा, लेकिन सीमाओं के साथ
मायावती ने यह तो स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें आकाश आनंद पर विश्वास है, लेकिन यह विश्वास अब पूरी तरह से लक्ष्मण रेखा में बंधा हुआ है। उन्हें संगठन के स्तर पर ही काम करने की अनुमति दी गई है, ताकि पार्टी का संदेश एक ही नेतृत्व से जनता तक पहुंचे।
इससे यह भी साफ होता है कि बसपा अब कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहती। पार्टी का नेतृत्व पूरी तरह मायावती के हाथों में ही रहेगा और आकाश आनंद जैसे युवा नेताओं को नियंत्रित भूमिका में रखा जाएगा।
आगे की रणनीति क्या होगी?
आकाश आनंद अब संगठन को गांव-गांव तक मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे। उन्हें पार्टी के आंतरिक ढांचे, विशेषकर युवा वर्ग से जुड़ाव बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि, उनके मीडिया से दूर रहने और सार्वजनिक भाषण न देने के निर्देश से यह साफ है कि वे अब बसपा के पोस्टर बॉय नहीं रहेंगे।
बसपा के भीतर यह रणनीति पार्टी को केंद्रीकृत करने और नेतृत्व को एकध्रुवीय बनाए रखने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।