चुनाव आयोग की साख में आई गिरावट – बोले प्रशांत किशोर
prashant-kishore जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने से खास बातचीत के दौरान कहा कि चुनाव आयोग की साख पहले जैसी नहीं रही। उन्होंने साफ कहा कि लोग अब चुनाव आयोग पर उतना विश्वास नहीं करते जितना पहले करते थे। उनकी इस टिप्पणी ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मी को और बढ़ा दिया है।

चुनाव आयोग को देना चाहिए स्पष्टीकरण
prashant-kishore ने कहा कि अगर वोटर लिस्ट में किसी का नाम हटता या जुड़ता है, तो इसकी जिम्मेदारी किसी नेता की नहीं बल्कि चुनाव आयोग की है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब नाम हटाया जा रहा है या नया जोड़ा जा रहा है, तो इसकी सूचना जनता को क्यों नहीं दी जाती अगर चुनाव के बाद ये सब बताया जाएगा तो फिर आपत्ति कैसे जताई जाएगी
इलेक्टोरल रोल रिवीजन हमारा काम नहीं ये चुनाव आयोग का काम है।
तकनीक दोधारी तलवार है – प्रशांत किशोर
उन्होंने ईवीएम को लेकर चल रही बहस में कहा कि लोकतंत्र में तकनीक का इस्तेमाल एक दोधारी तलवार की तरह होता है। बैलेट पेपर के जमाने में भी छेड़छाड़ होती थी और ये बात बिहार में हर कोई जानता है।
लालू यादव के राज में बैलेट पेपर में बदलाव किए जाते थे, ये कोई नई बात नहीं है
शक की सुई वहीं से उठी
प्रशांत किशोर ने कहा कि महाराष्ट्र और हरियाणा में चुनाव से पहले जिस तरह से इलेक्टोरल रोल रिवीजन हुआ, उसने ही संदेह की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और कांग्रेस इस पर लगातार सवाल उठा रहे हैं और अब चुनाव आयोग को इसकी सफाई देनी चाहिए।
2003 के बाद इस तरह का ‘स्पेशल ड्राइव’ पहली बार दिख रहा है। अगर सब पारदर्शी है, तो विपक्ष को जवाब क्यों नहीं मिलता?
नीतीश कुमार अब CM नहीं रह सकते प्रशांत किशोर

सबसे तीखा हमला उन्होंने नीतीश कुमार पर बोला। प्रशांत किशोर ने दावा किया कि नवंबर 2025 के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी मानसिक और शारीरिक स्थिति अब काम के लायक नहीं रही।”वह मंच पर प्रधानमंत्री का नाम भूल जाते हैं कभी राष्ट्रगान और कव्वाली में फर्क नहीं कर पाते।”
प्रशांत किशोर ने ये भी कहा कि बीजेपी की रणनीति को जानने वाले यह बात पहले से समझते हैं कि नीतीश अब सत्ता में बने नहीं रह पाएंगे। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि PM मोदी और अमित शाह को भी ये पता है कि अब नीतीश कुमार की भूमिका केवल दिखावटी है।
चुनावी निष्पक्षता को लेकर चिंता
प्रशांत किशोर ने NDTV से बातचीत में ये स्पष्ट किया कि वे किसी पार्टी विशेष की तरफदारी नहीं कर रहे हैं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी किसी को भी चुनाव आयोग पर इतना असर नहीं होना चाहिए कि उसके निर्णय पर सवाल खड़े हों।