Rahul Gandhi ने चुनाव आयोग से फिर पूछा सवाल, महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव डेटा कब मिलेगा?

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को चुनाव आयोग से एक अहम सवाल किया है। उन्होंने चुनाव आयोग के उस निर्णय का स्वागत किया जिसमें आयोग ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए 2009 से 2024 तक के मतदाता सूची डेटा को साझा करने का रास्ता साफ किया है। लेकिन राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से यह भी आग्रह किया है कि वह इस डेटा को उपलब्ध कराने की सटीक तारीख का सार्वजनिक रूप से ऐलान करे।
चुनाव आयोग ने किया डेटा साझा करने का फैसला
हालांकि निर्वाचन आयोग की ओर से अभी तक इस संदर्भ में आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि आयोग ने हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों से जुड़ा डेटा जारी करने का फैसला किया है। इस डेटा में 15 साल से अधिक के चुनावी मतदाता सूचियों की जानकारी होगी। चुनाव आयोग ने इस बारे में दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वासन भी दिया था कि वह जल्द ही यह डेटा रिलीज करेगा।
राहुल गांधी ने किया ट्वीट और सवाल
Good first step taken by EC to hand over voter rolls.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 9, 2025
Can the EC please announce the exact date by which this data will be handed over in a digital, machine-readable format? pic.twitter.com/SbW3DrCapK
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस मीडिया रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट साझा किया और लिखा,
“मतदाता सूची सौंपने के लिए चुनाव आयोग द्वारा उठाया गया पहला अच्छा कदम है। क्या चुनाव आयोग सटीक तारीख की घोषणा कर सकता है, जब तक यह डेटा सौंप दिया जाएगा?”
यह पोस्ट चुनाव आयोग की उस पहल का स्वागत है, लेकिन साथ ही डेटा रिलीज की तारीख को लेकर जनता में व्याप्त अनिश्चितता को भी उजागर करती है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के आरोप
पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने चुनाव प्रक्रिया में धांधली और ‘मैच-फिक्सिंग’ के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि चुनावों में भ्रष्टाचार और फिक्सिंग हो रही है, जो आगामी बिहार चुनाव सहित अन्य राज्यों के चुनावों पर भी प्रभाव डालेगा।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के इन आरोपों को खारिज कर दिया था और कहा था कि यह संवैधानिक निकाय केवल तभी आधिकारिक प्रतिक्रिया देगा जब राहुल गांधी इसकी लिखित मांग करेंगे। इसके बावजूद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर दोबारा हमला बोलते हुए कहा कि चोरी से नहीं बल्कि सच से चुनाव आयोग की विश्वसनीयता बनी रहेगी।
चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को किया आमंत्रित
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग ने सभी छह राष्ट्रीय पार्टियों के नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया था, ताकि चुनावों की पारदर्शिता बढ़ाई जा सके। पांच दलों के नेता इस बैठक में शामिल हुए, लेकिन कांग्रेस ने 15 मई को तय बैठक को रद्द कर दिया था।
यह कदम चुनाव आयोग की ओर से राजनीतिक दलों के साथ संवाद बढ़ाने की पहल माना जा रहा है ताकि चुनावों में विश्वास कायम किया जा सके।
मतदाता डेटा की रिलीज क्यों जरूरी?
मतदाता सूची डेटा का खुलासा चुनावों की पारदर्शिता बढ़ाने और चुनावों में हो सकने वाले धोखाधड़ी के आरोपों की जांच के लिए बहुत जरूरी माना जाता है। चुनाव से जुड़ा यह डेटा चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को बेहतर बनाने में सहायक होता है।
इस डेटा के जारी होने से विपक्षी दलों और जनता को चुनावी प्रक्रिया की निगरानी करने में मदद मिलेगी, जिससे लोकतंत्र और मजबूत होगा।
चुनाव आयोग का डेटा साझा करने का फैसला
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव आयोग ने दिल्ली उच्च न्यायालय को आश्वासन दिया था कि वह जल्द ही हरियाणा और महाराष्ट्र के मतदाता सूची डेटा को जारी करेगा। हालांकि, अभी तक आयोग की ओर से इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।
इस डेटा में लगभग 15 वर्षों यानी 2009 से 2024 तक के चुनावी मतदाता सूचियों की जानकारी शामिल होगी, जो चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ाने में मददगार साबित होगी।
राहुल गांधी के आरोप और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
पिछले साल महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने चुनाव प्रक्रिया में धांधली और मैच-फिक्सिंग के आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि चुनावों में गड़बड़ी हुई, जो आगामी बिहार चुनाव सहित अन्य राज्यों के चुनावों पर भी असर डालेगी।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को खारिज किया था और कहा था कि वह केवल तब जवाब देगा जब राहुल गांधी इसे आधिकारिक रूप से लिखित में मांगेंगे। इसके बाद भी राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर दोबारा हमला करते हुए कहा कि चुनाव आयोग की विश्वसनीयता चोरी से नहीं बल्कि सच को सामने लाकर बनी रहनी चाहिए।
चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को किया आमंत्रित
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग ने सभी छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया था ताकि चुनावों की पारदर्शिता बढ़ाने के प्रयास किए जा सकें। पांच दलों के नेता इस बैठक में शामिल हुए, लेकिन कांग्रेस ने तय बैठक को रद्द कर दिया।
यह चुनाव आयोग की ओर से राजनीतिक दलों के साथ संवाद बढ़ाने की पहल मानी जा रही है।
मतदाता डेटा की महत्ता
मतदाता सूची डेटा का खुलासा चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और संभावित चुनावी धांधली के आरोपों की जांच के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह डेटा चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता को बढ़ाने के लिए एक अहम जरिया है।
डेटा उपलब्ध होने से विपक्षी दलों को चुनावी प्रक्रिया की निगरानी में मदद मिलेगी और जनता के मन में लोकतंत्र के प्रति विश्वास मजबूत होगा।