Ramcharitmanas का Most Powerful Part: सुंदरकांड क्यों कहलाता है ‘सुंदर’? जानिए रामचरितमानस के इस अध्याय से जुड़ा पौराणिक और आध्यात्मिक रहस्य
क्या आपने कभी सोचा है कि तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के एक अध्याय को ‘सुंदरकांड’ क्यों कहा गया है? आखिर ऐसा क्या खास है इस कांड में जो इसे ‘सुंदर’ कहा गया, जबकि बाकी कांडों को उनके स्थान या घटनाओं के अनुसार नाम दिया गया है?
आज के इस लेख में हम इस पवित्र अध्याय की महिमा, नामकरण के पीछे की मान्यताएं और इसके पाठ के लाभों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
रामायण में कुल कितने कांड होते हैं?
रामचरितमानस में कुल सात कांड होते हैं:
- बालकांड
- अयोध्याकांड
- अरण्यकांड
- किष्किंधाकांड
- सुंदरकांड
- लंकाकांड
- उत्तरकांड
इनमें से सुंदरकांड सबसे लोकप्रिय और भक्तों में सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला अध्याय है। खासकर मंगलवार और शनिवार को इसका पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

‘सुंदरकांड’ को ‘सुंदर’ क्यों कहा गया?
अब बात आती है असली प्रश्न की — सुंदरकांड को ‘सुंदर’ क्यों कहा जाता है?
इसका उत्तर केवल शब्दों में नहीं, बल्कि भावनाओं, घटनाओं और आध्यात्मिक संकेतों में छिपा है:
1. ‘सुंदर’ स्थान का उल्लेख:
रामचरितमानस में सुंदर शब्द का प्रयोग 8 बार हुआ है। हनुमान जी जब लंका पहुंचते हैं, तो वे जिस स्थान पर पहली बार पैर रखते हैं, वह स्थान ‘सुंदर’ कहलाता है।
2. माता सीता को मिला ‘सुंदर’ संदेश:
रावण द्वारा हरण के बाद, यह पहली बार था जब माता सीता को श्रीराम का कोई संकेत मिला — हनुमान जी द्वारा दी गई अंगूठी (मुद्रिका)। यह संदेश ‘सुंदर’ कहलाया क्योंकि उसमें आशा, प्रेम और भक्ति समाहित थी।
3. सुंदर पर्वत और अशोक वाटिका:
जिस पर्वत पर हनुमान जी पहुंचे थे, उसका नाम भी ‘सुंदर पर्वत’ था, जिसके पास ही अशोक वाटिका स्थित थी। वहीं हनुमान जी और माता सीता की पहली मुलाकात हुई थी। इस पवित्र स्थान के कारण भी इस अध्याय को ‘सुंदर’ की उपाधि मिली। 4. हनुमान जी का दिव्य स्वरूप:
इस अध्याय में हनुमान जी का साहस, भक्ति, सेवा और समर्पण का जो रूप वर्णित है, वह अत्यंत मनोहर और प्रेरणादायी है। इसलिए भी इसे ‘सुंदर’ कहा गया।
सुंदरकांड में हनुमान जी की वीरता का वर्णन
इस अध्याय में हनुमान जी श्रीराम का संदेश लेकर अकेले समुद्र पार करते हैं, लंका में प्रवेश करते हैं, राक्षसों से लोहा लेते हैं और माता सीता से भेंट करते हैं। इसके बाद वह लंका दहन कर, विजयी होकर लौटते हैं।
इसमें न केवल उनका शौर्य और बल दिखता है, बल्कि उनकी बुद्धिमानी, संयम और समर्पण भी दर्शाया गया है। उनका यह रूप भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है।

सुंदरकांड के पाठ से मिलने वाले अद्भुत लाभ
1. मानसिक शांति और आत्मबल में वृद्धि:
सुंदरकांड का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है। यह पाठ नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
2. संकटों से मुक्ति:
हनुमान जी संकटमोचक कहे जाते हैं। सुंदरकांड पढ़ने से जीवन के कठिन दौर में राहत और साहस मिलता है।
3. हनुमान जी की कृपा:
इस अध्याय का पाठ करने से हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
4. भय और तनाव से मुक्ति:
यह पाठ व्यक्ति को निडर और सकारात्मक सोच वाला बनाता है। मानसिक रूप से मजबूत करता है।
सुंदरकांड का पाठ कब और कैसे करें?
- दिन: मंगलवार और शनिवार को पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।
- समय: प्रातःकाल या संध्या काल में शांत वातावरण में करें।
- स्थान: स्वच्छ स्थान पर बैठकर, श्रद्धा और ध्यान से पढ़ें।
भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
‘सुंदरकांड’ केवल एक अध्याय नहीं है, बल्कि यह श्रद्धा, समर्पण और पराक्रम का प्रतीक है। इसमें वर्णित घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि अगर नीयत और उद्देश्य पवित्र हो, तो कोई भी कार्य असंभव नहीं।
हनुमान जी की निःस्वार्थ सेवा, उनका आत्मविश्वास और श्रीराम के प्रति अडिग भक्ति, सुंदरकांड को रामायण का सबसे प्रेरणादायक अध्याय बनाते हैं।
