DRDO का मास्टरस्ट्रोक: अब हवा में ही उड़ जाएगी दुश्मन की न्यूक्लियर मिसाइल, चीन-पाकिस्तान में मचा हड़कंप
भारत की रक्षा तैयारियों में अब एक और मजबूत कड़ी जुड़ गई है। DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने एक ऐसा मिसाइल डिफेंस सिस्टम तैयार कर लिया है, जो दुश्मन की बैलिस्टिक न्यूक्लियर मिसाइलों को धरती तक पहुंचने से पहले ही आसमान में तबाह कर देगा। यह सिस्टम Ballistic Missile Defence System (BMD) के नाम से जाना जा रहा है और इसका विकास पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से हुआ है।
इस रक्षा प्रणाली ने भारत को मिसाइल रक्षा तकनीक में विश्व के चुनिंदा देशों की सूची में लाकर खड़ा कर दिया है। अब भारत किसी भी परमाणु हमले के खिलाफ पहले से ज्यादा तैयार, सतर्क और सशक्त है।
ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाई भारत की आत्मनिर्भर सैन्य शक्ति
हाल ही में हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत ने इस मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सफल उपयोग कर दिखा दिया कि अब हमें किसी बाहरी तकनीक की जरूरत नहीं। इस ऑपरेशन में भारत ने पूरी तरह घरेलू तकनीक वाले हथियारों का उपयोग किया — जिसमें एंटी-ड्रोन सिस्टम, रडार और यह नया BMD सिस्टम शामिल रहा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऑपरेशन के बाद स्पष्ट कर दिया कि अब भारत किसी भी परमाणु धमकी के आगे झुकने वाला नहीं है, खासकर पाकिस्तान और चीन जैसे देशों से आने वाली।

क्या है BMD सिस्टम और कैसे काम करता है?
BMD यानी Ballistic Missile Defence System एक मल्टी-लेयर सुरक्षा प्रणाली है, जिसका मकसद है दुश्मन की मिसाइल को टारगेट पर पहुंचने से पहले ही नष्ट कर देना।
इस सिस्टम में दो चरण शामिल हैं:
- प्रथ्वी एयर डिफेंस (PAD):
यह ऊपरी वायुमंडल में, यानी लगभग 50-80 किलोमीटर की ऊंचाई पर दुश्मन की मिसाइल को पहचानकर उसे नष्ट कर देता है। - एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD):
यह सिस्टम 30 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी दुश्मन की मिसाइल को इंटरसेप्ट कर सकता है। अगर PAD चूक जाए तो AAD उसे पकड़ लेता है।
AD-1 इंटरसेप्टर मिसाइल: गेम चेंजर तकनीक
इस सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है AD-1 इंटरसेप्टर मिसाइल। इसे DRDO ने पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से तैयार किया है। यह इंटरसेप्टर 3,000 से 5,000 किलोमीटर रेंज वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को भी उनकी अंतिम स्टेज में रोक सकता है।
इसका मतलब अगर कोई दुश्मन देश भारत की ओर न्यूक्लियर मिसाइल दागे, तो यह इंटरसेप्टर उसे जमीन छूने से पहले ही आसमान में खत्म कर देगा। इससे कोई रेडिएशन रिस्क या ब्लास्ट का खतरा नहीं रहता।
कैसे काम करता है यह एडवांस सिस्टम?
- सबसे पहले दुश्मन की मिसाइल को रडार और सेंसर की मदद से ट्रैक किया जाता है।
- इसके बाद मिशन कंट्रोल सेंटर उस मिसाइल की दिशा, स्पीड और लोकेशन का एनालिसिस करता है।
- फिर उसी डेटा के आधार पर AD-1 या AAD इंटरसेप्टर को लॉन्च किया जाता है।
- यह इंटरसेप्टर हवा में जाकर उस मिसाइल को टारगेट करता है और उसे निष्क्रिय कर देता है।
यह पूरा प्रोसेस सिर्फ कुछ ही सेकंड्स में पूरा हो जाता है, जो इसे दुनिया की सबसे तेज और एडवांस डिफेंस तकनीकों में से एक बनाता है।

क्या हैं इसके फायदे?
1. राष्ट्रीय सुरक्षा को नया कवच
अब भारत के शहर, गांव, मिलिट्री बेस और सेंसिटिव ज़ोन न्यूक्लियर हमले से पहले ही सेफ हो सकते हैं।
2. मनोवैज्ञानिक बढ़त
कोई भी देश भारत पर मिसाइल से हमला करने से पहले कई बार सोचेगा, क्योंकि उसे पता है कि वो मिसाइल शायद टारगेट तक पहुंच ही न पाए।
3. स्वदेशी तकनीक पर गर्व
इस सिस्टम को पूरी तरह भारत ने अपने संसाधनों से तैयार किया है, जिससे यह ‘मेक इन इंडिया’ की सच्ची मिसाल बन गया है।
चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश में क्यों मचा हड़कंप?
भारत की इस बड़ी उपलब्धि के बाद तीन पड़ोसी देशों—चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश—में बेचैनी और घबराहट बढ़ गई है। खासकर पाकिस्तान, जो अकसर परमाणु धमकी देता रहा है, अब उसे पता है कि भारत उसे केवल जवाब ही नहीं देगा, बल्कि उसकी मिसाइल को रास्ते में ही खत्म कर देगा।
चीन के सैन्य विश्लेषकों ने भी इस टेक्नोलॉजी को भारत की सुरक्षा नीति में बड़ा गेम चेंजर बताया है।

भविष्य में क्या है योजना?
DRDO अब इस सिस्टम के नए संस्करणों पर काम कर रहा है जिसमें लेजर बेस्ड इंटरसेप्टर और हाईपरसोनिक डिफेंस सिस्टम भी शामिल होंगे। आने वाले वर्षों में भारत की यह तकनीक उसे रक्षा क्षेत्र में सुपरपावर बना सकती है।