ग्रेटर नोएडा (25 नवंबर, 2024): ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण द्वारा किए गए वादों की अनदेखी के खिलाफ आज सैकड़ों किसानों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस महापंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में 20 जिलों से बड़ी संख्या में किसान जुटे। किसानों का कहना है कि जब उनकी ज़मीनों का अधिग्रहण किया गया था, तब कई वादे किए गए थे, जिनमें से अधिकांश आज तक पूरे नहीं हुए हैं। किसानों का आरोप है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने उन्हें मुआवजे, रोजगार, और अन्य सुविधाएं देने का जो वादा किया था, वह अब तक सिर्फ एक कागज तक सीमित रह गया है। इसी कारण किसानों ने आज अपनी आवाज़ बुलंद की और यह स्पष्ट किया कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तो वे एक बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।
किसानों ने प्राधिकरण पर लगाए गंभीर आरोप
महापंचायत के दौरान किसानों ने एकजुट होकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और सरकार की नीतियों को किसान विरोधी बताया। किसान नेता पवन खटाना ने कहा कि यह आंदोलन अब सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक निर्णायक लड़ाई बन चुकी है। उन्होंने कहा, “हमने अब तक कई बार प्रशासन के साथ वार्ता की, लेकिन हर बार हमें धोखा मिला। हम अब किसी व्यक्तिगत बातचीत के बजाय इस मुद्दे को संगठन के माध्यम से उठाएंगे।” पवन खटाना ने यह भी आरोप लगाया कि स्थानीय विधायक और सांसद अपने चुनावी वादों को भूलकर सत्ता में आने के बाद किसानों के मुद्दे पर चुप हैं। उन्होंने नेताओं से पूछा, “यदि आप हमारे समर्थन में हैं, तो हमारी मांगों को सदन में क्यों नहीं उठाते?”
किसानों की तीन प्रमुख मांगें
महापंचायत में किसानों ने अपनी तीन मुख्य मांगों को जोर-शोर से उठाया, जिनके बिना वे किसी भी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं हैं। इन तीन मांगों में सबसे पहली मांग है कि “10% विकसित भूखंड” किसानों को तुरंत दिया जाए, जैसा कि अधिग्रहण के समय वादा किया गया था। दूसरी मांग है कि “नया भूमि अधिग्रहण बिल” लागू किया जाए, ताकि किसानों के अधिकार सुरक्षित हो सकें और उन्हें न्याय मिल सके। तीसरी और महत्वपूर्ण मांग है कि “हाई पावर कमेटी की सिफारिशों” को लागू करने के लिए शासनादेश जारी किया जाए, ताकि पहले से चली आ रही समस्याओं का समाधान किया जा सके।
राकेश टिकैत ने प्रशासन को दी चेतावनी
किसान नेता राकेश टिकैत ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि उनका आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन प्रशासन को इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी, “यदि हमारी मांगों को अनदेखा किया गया, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। किसान अब अपने अधिकारों के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं।” टिकैत ने कहा कि यह आंदोलन किसी भी सूरत में कमजोर नहीं पड़ने दिया जाएगा और अगर प्रशासन ने इस संघर्ष को हल्के में लिया, तो इसका असर पूरे प्रदेश में दिखेगा।
नेताओं पर भी उठाए सवाल
किसान नेता पवन खटाना ने इस महापंचायत में स्थानीय नेताओं और सांसदों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “जब ये नेता विपक्ष में होते हैं, तो हमारे मुद्दों पर बोलते हैं, लेकिन सत्ता में आने के बाद इनसे कोई उम्मीद नहीं रह जाती। अब यह नेताओं पर निर्भर करता है कि वे हमारी मांगों को सदन में उठाते हैं या नहीं। अगर नहीं, तो हमें समझना होगा कि इन्हें जिताने का कोई फायदा नहीं।”
आगे की रणनीति: धरना और घेराव
किसान आंदोलन अब एक नया मोड़ लेने की तैयारी कर रहा है। किसानों ने 27 नवंबर से बड़े पैमाने पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का घेराव करने की योजना बनाई है। इसके बाद 28 नवंबर को यमुना प्राधिकरण और 2 दिसंबर को नोएडा प्राधिकरण का घेराव किया जाएगा। किसान नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो नोएडा में अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया जाएगा।
किसानों की नाराजगी क्यों?
किसानों का आरोप है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और सरकार की नीतियां पूरी तरह से उनके अधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने न केवल अपनी जमीनें दीं, बल्कि इसके बदले जो वादे किए गए थे, वे आज तक पूरे नहीं हुए। किसानों का यह आंदोलन सिर्फ ज़मीन के अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि उनके सम्मान और जीवनस्तर की रक्षा के लिए भी है।