दिवाली का पर्व जहां एक ओर खुशियों का प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के बरेली में एक दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को हैरान कर दिया है। यहां एक महिला ने अपनी भतीजी की बलि देने की तैयारी की थी। चार साल की मासूम बच्ची मिष्ठी की हत्या का यह मामला अब पुलिस के लिए चुनौती बन गया है। जब बच्ची के परिवार वाले उसकी तलाश में जुट गए और पुलिस को सूचित किया, तो आरोपी महिला, सावित्री, घबरा गई और उसने न केवल बच्ची का अपहरण किया, बल्कि उसे गला दबाकर हत्या कर दी।
हत्या की वजह: अंधविश्वास और तंत्र साधना
इज्जतनगर पुलिस के अनुसार, सावित्री ने पहले से योजना बनाकर बच्ची को कुरकुरे और टॉफी का लालच देकर अपने घर बुलाया। उसके मन में एक खतरनाक इरादा था; वह बच्ची की बलि देकर तंत्र साधना करना चाहती थी। लेकिन जब परिवार ने बच्ची की खोज शुरू की, तो सावित्री ने डर के मारे बिना किसी तंत्र साधना के ही बच्ची का गला दबा दिया। इस खौफनाक घटना ने यह साबित कर दिया कि अंधविश्वास के चलते इंसान किस हद तक गिर सकता है।
पुलिस की सक्रियता से खुलासा
पुलिस को जब बच्ची की लाश बोरे में मिली, तब मामले ने गंभीरता पकड़ ली। सावित्री ने बच्ची की हत्या के बाद उसका शव छिपाने का प्रयास किया था, लेकिन पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे और उसके तांत्रिक ससुर गंगाराम को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने बताया कि आरोपी के पास से तंत्र साधना में इस्तेमाल होने वाले सामान भी बरामद हुए हैं। अब दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया है, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है।
सावित्री का अंधविश्वासी निर्णय
सावित्री के पति और ससुर की पहले ही मौत हो चुकी थी, और उसके तीन बेटे झारखंड में रहते थे। वे कई सालों से उससे दूरी बनाए हुए थे, जिससे वह मानसिक तनाव का सामना कर रही थी। गंगाराम, जो उसके रिश्ते में ससुर है, ने उसे यह खतरनाक सलाह दी कि दीपावली से पहले किसी बच्चे की बलि देने से उसकी परेशानियाँ खत्म हो जाएंगी। यह सलाह न केवल खतरनाक थी, बल्कि समाज में अंधविश्वास की गहरी जड़ें दिखाने वाली भी है।
पुलिस अधिकारी की प्रतिक्रिया
इज्जतनगर थाना प्रभारी धनंजय पांडे ने कहा कि यह घटना अंधविश्वास और तंत्र विद्या के खतरनाक पहलुओं को उजागर करती है। दोनों आरोपी ताई और गंगाराम अपने अंधविश्वास में बच्ची की बलि देने की फिराक में थे। लेकिन पुलिस की सक्रियता ने उन्हें इस खौफनाक इरादे को अंजाम देने से पहले ही पकड़ लिया। यह मामला न केवल बरेली में, बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है और इसने अंधविश्वास पर एक बार फिर सवाल उठाए हैं।