Mathura Govindnagar में कई मकान ढहे, मलबे में फंसे एक दर्जन लोग, राहत कार्य जारी

मथुरा: उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले से रविवार को एक बेहद दर्दनाक और चिंताजनक घटना सामने आई है। गोविंदनगर इलाके में एक साथ कई मकान गिर गए, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। बताया जा रहा है कि इन मकानों के मलबे में करीब एक दर्जन लोग दबे हो सकते हैं। प्रशासन की कई टीमें मौके पर मौजूद हैं और तेजी से राहत व बचाव कार्य चल रहा है।
कहां हुआ हादसा?

यह दुर्घटना मथुरा के मसानी थाना क्षेत्र अंतर्गत गोविंदनगर इलाके में हुई है, जहां एक कच्ची सड़क के पास स्थित कई पुराने मकान ढह गए। यह हादसा दिन के समय हुआ, जब स्थानीय लोग अपने घरों में मौजूद थे। इस घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन, दमकल विभाग और पुलिस की टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गईं।

प्रत्यक्षदर्शियों का बयान
स्थानीय लोगों के अनुसार, अचानक से एक मकान की दीवार गिरी और कुछ ही देर में आसपास के अन्य मकान भी भरभरा कर गिर पड़े। घटना इतनी तेज थी कि किसी को बाहर निकलने का मौका तक नहीं मिला। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया,
“हम लोग बाजार से लौट रहे थे तभी देखा कि मकान गिर गया और चारों तरफ धूल का गुबार फैल गया। लोग चिल्ला रहे थे कि अंदर लोग फंसे हैं।”

राहत और बचाव कार्य जारी
अधिकारियों के अनुसार, घटनास्थल पर नगर निगम, फायर ब्रिगेड, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की संयुक्त टीमें राहत कार्यों में लगी हुई हैं। मलबा हटाने के लिए जेसीबी मशीनें लगाई गई हैं। बचाव कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है ताकि अंदर फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
सीओ भूषण वर्मा का बयान:

“हमें मकान गिरने की सूचना मिली थी। हमारी टीम तुरंत मौके पर पहुंची और मलबा हटाने का कार्य शुरू किया। अभी तक एक युवक को सुरक्षित बाहर निकाला गया है, लेकिन मलबे में और भी लोग फंसे हो सकते हैं। नगर निगम की टीम पूरी तत्परता से काम कर रही है।”
क्या है गिरने की वजह?
अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मकान किन कारणों से गिरे। स्थानीय प्रशासन के अनुसार, मौसम, नींव की कमजोरी, या हाल ही में हुई भारी बारिश इसके कारण हो सकते हैं।
हालांकि यह क्षेत्र काफी पुराना और घनी आबादी वाला है, जहां कई मकान जर्जर हालत में हैं। इससे पहले भी कुछ बार दीवार गिरने या छत ढहने की घटनाएं यहां सामने आ चुकी हैं।
अब तक क्या हुआ?
- मकानों की संख्या: लगभग 3-4 मकान पूरी तरह से गिरे
- मलबे में फंसे लोग: अनुमानित 10-12
- अब तक निकाले गए: 1 युवक
- राहत टीम: नगर निगम, फायर ब्रिगेड, पुलिस
- अधिकारियों की मौजूदगी: सीओ, एसडीएम, फायर ऑफिसर, नगर आयुक्त
घायलों के लिए इंतजाम
जो भी लोग मलबे से बाहर निकाले जा रहे हैं उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल अनुवांट नगर अस्पताल में ले जाया जा रहा है। जिला अस्पताल में एम्बुलेंस और इमरजेंसी टीम को अलर्ट पर रखा गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया संज्ञान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर गहरा दुख जताया है और जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि राहत कार्य में कोई भी कोताही ना बरती जाए। सीएम ऑफिस की ओर से ट्वीट किया गया:
“मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी ने मथुरा में मकान गिरने की घटना का संज्ञान लिया है। जिला प्रशासन को घायलों को तत्काल राहत और उपचार प्रदान करने के निर्देश दिए हैं।”
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
घटना के तुरंत बाद कई स्थानीय लोगों ने अपने मोबाइल से मकान गिरने और मलबा हटाने के वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए हैं। इन वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि किस तरह से मकानों का मलबा गली में बिखरा पड़ा है और बचावकर्मी उसमें से लोगों को निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
क्या पहले से था खतरा?
स्थानीय निवासियों का आरोप है कि प्रशासन को इस इलाके में कई पुराने और कमजोर मकानों के बारे में पहले से जानकारी थी। एक सामाजिक कार्यकर्ता अशोक शर्मा ने बताया,
“हमने पहले ही कई बार नगर निगम को इस बारे में पत्र लिखा था कि गोविंदनगर इलाके के मकान बहुत कमजोर हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।”
अगला कदम क्या?
प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे कदम:
- क्षेत्र को सील कर दिया गया है ताकि लोग मलबे के पास ना जाएं
- जांच टीम गठित की गई है जो इस घटना के कारणों की जांच करेगी
- सभी पुराने मकानों का सर्वेक्षण कराया जाएगा
- घायलों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी
मथुरा के इतिहास में यह कोई नई घटना नहीं
मथुरा जैसे पुराने शहर में पुरानी और कमजोर इमारतों का ढहना एक सामान्य समस्या रही है। प्रशासन हर बार सर्वेक्षण और कार्रवाई की बात करता है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि नियमित निरीक्षण नहीं किए जाते, और जब कोई बड़ा हादसा होता है तब ही व्यवस्था जागती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
सिविल इंजीनियरिंग विशेषज्ञ प्रो. संजय मिश्रा के अनुसार,
“ऐसे पुराने इलाके जहां घनी आबादी है और जलनिकासी की व्यवस्था सही नहीं है, वहां भारी बारिश के बाद जमीन की मजबूती घट जाती है जिससे मकानों की नींव कमजोर हो जाती है और हादसे होते हैं।”
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