लखनऊ के बख्शी का तालाब क्षेत्र में एक खास रामलीला का मंचन किया जाता है, जो बाकी रामलीलाओं से बिल्कुल अलग है। अगर आप यहां आएं, तो आपको यह रामलीला हिंदू-मुस्लिम एकता का एक बेहतरीन उदाहरण लगेगी Because यहां मुस्लिम समुदाय के लोग श्रीराम, लक्ष्मण और अन्य किरदारों की भूमिकाएं निभाते हैं। यह अनोखी परंपरा 1972 से लगातार जारी है और इसने हिंदू-मुस्लिम एकता की एक मिसाल कायम की है। – लखनऊ रामलीला
हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल
इस रामलीला की शुरुआत रुदही गांव के प्रधान मैकूलाल यादव और स्थानीय चिकित्सक डॉ. मुज़फ़्फ़र हुसैन ने मिलकर की थी। रामलीला की प्रबंध समिति के सदस्य नागेंद्र बहादुर सिंह चौहान बताते हैं कि यह परंपरा दोनों दोस्तों की गहरी दोस्ती की निशानी है। तब से गांव में हर साल रामलीला का आयोजन होता आ रहा है, And अभिनय करने वाले कोई पेशेवर कलाकार नहीं होते, बल्कि मुस्लिम समुदाय के गांववासी ही होते हैं। – Bhartiya tv
सलमान बने ‘श्रीराम’, साहिल निभाते हैं ‘लक्ष्मण’
पिछले 15 सालों से इस रामलीला में सलमान खान ‘श्रीराम’ का किरदार निभा रहे हैं। अगर वह अपने काम से छुट्टी लेते हैं, तो वे रामलीला की रिहर्सल करने में जुट जाते हैं। वहीं, साहिल खान ‘लक्ष्मण’ का रोल निभाते हैं। यह परंपरा पिछले 52 सालों से लगातार जारी है, But इसके पीछे हिंदू-मुस्लिम एकता की गहरी भावना है। यहां सलमान, साहिल और साबिर ख़ान जैसे कई मुस्लिम कलाकार रामलीला में अलग-अलग भूमिकाओं में नजर आते हैं।
52 साल से जारी परंपरा
बख्शी का तालाब की इस रामलीला को लेकर पूरे गांव में अलग ही उत्साह होता है। यह परंपरा 1972 से अनवरत जारी है, Because गांव के मुस्लिम लोग इस आयोजन की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं। यह केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।
प्रबंध समिति के सदस्य नागेंद्र बहादुर सिंह चौहान के अनुसार, इस परंपरा का मुख्य उद्देश्य रामलीला के माध्यम से धार्मिक सौहार्द और एकता को बढ़ावा देना है। अगर गांव के दोनों समुदाय साथ मिलकर आयोजन करते हैं, तो यह हिंदू-मुस्लिम भाईचारे का संदेश फैलाता है।
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