बहराइच: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के कोतवाली देहात क्षेत्र में एक दुःखद सड़क दुर्घटना में भाजपा नेता उत्कर्ष श्रीवास्तव की जान चली गई। घटना शनिवार की रात की है, जब एक तेज रफ्तार ट्रक ने उनकी स्कूटी को जोरदार टक्कर मार दी। इस भयंकर टक्कर के परिणामस्वरूप उत्कर्ष गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों की तत्काल सहायता के लिए आसपास के लोगों ने एंबुलेंस को बुलाया और उन्हें बिना समय गंवाए बहराइच मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। वहां चिकित्सा कर्मचारियों ने उनकी जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास किया, लेकिन दुर्भाग्यवश, इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। यह घटना न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए एक बड़ी क्षति है, बल्कि पूरे समुदाय में शोक की लहर दौड़ गई है।
परिवार में आई तबाही
27 वर्षीय उत्कर्ष श्रीवास्तव भाजपा के जिला मंत्री के पद पर कार्यरत थे और अपने परिवार के इकलौते बेटे थे। उनकी आकस्मिक मृत्यु ने उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया है। सिर्फ चार महीने पहले, उनके पिता संजीव श्रीवास्तव का भी निधन हो चुका था, जिससे परिवार की स्थिति और भी भयावह हो गई है। अब, जब परिवार ने एक और महत्वपूर्ण सदस्य को खो दिया है, उनकी मां और अन्य परिजन गहरे सदमे में हैं। परिवार में दो लोगों की मौत का सदमा सहन करना उनके लिए अत्यंत कठिन है। इस दुखद परिस्थिति में, उनकी मां का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो गया है, और उन्होंने अपने बेटे की मौत की खबर सुनकर बेसुध हो गईं।
स्थानीय नेताओं ने किया शोक व्यक्त
इस दुःखद घटना के बाद भाजपा के कई नेता और कार्यकर्ता परिवार से मिलने पहुंचे। भाजपा जिलाध्यक्ष बृजेश पांडेय, पूर्व जिलाध्यक्ष श्याम करन, विधायक सुभाष त्रिपाठी, और विस संयोजक निशंक त्रिपाठी सहित अन्य नेताओं ने शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी। नेताओं ने परिवार को यह आश्वासन दिया कि वे इस कठिन समय में उनके साथ खड़े हैं और हर संभव मदद करेंगे। इस तरह की घटनाएं न केवल व्यक्तिगत परिवारों को प्रभावित करती हैं, बल्कि पूरे समुदाय में एक गहरा प्रभाव छोड़ती हैं।
पिता संजीव श्रीवास्तव की मृत्यु चार महीने
उत्कर्ष के पिता संजीव श्रीवास्तव की मृत्यु चार महीने पहले हुई थी, जो परिवार के लिए एक बड़ा सदमा था। संजीव जी का निधन परिवार के लिए एक आघात था, जिसने उनके बेटे उत्कर्ष पर भी गहरा प्रभाव डाला। संजीव एक समाजसेवी थे और अपने समुदाय में एक प्रमुख भूमिका निभाते थे। उनके चले जाने से परिवार का सहारा और जिम्मेदारियों का बोझ उत्कर्ष पर आ गया था। अब, जब परिवार ने अपने इकलौते बेटे को भी खो दिया है, तो यह दुख और भी बढ़ गया है। माँ अपने पति और बेटे दोनों को खोने के सदमे में हैं, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हुआ है।
एक अनकही कहानी
उत्कर्ष श्रीवास्तव अपने परिवार के लिए एक महत्वपूर्ण आधार स्तंभ थे। उनकी आकस्मिक मृत्यु ने उनके परिवार के सदस्यों को तोड़कर रख दिया है। घर की जिम्मेदारियों को संभालने वाले युवा बेटे की मौत से पूरे परिवार को मानसिक और भावनात्मक झटका लगा है। जब उनकी मां को उनके बेटे की मौत की खबर मिली, तो वे एकदम चौंक गईं और बेसुध हो गईं। यह न केवल उनके लिए बल्कि उनके दोस्तों और करीबी रिश्तेदारों के लिए भी एक असहनीय क्षण था, जिन्होंने उत्कर्ष को एक उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक माना था।
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