Uttar Pardesh Bhadohi : पुलिस को लगाया चूना भदोही में फर्जी हस्ताक्षर और मोहर से थाने से छुड़ाया पत्थर लदा ट्रक
Uttar Pardesh के भदोही जिले में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने न केवल पुलिस प्रशासन को सकते में डाल दिया है, बल्कि पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक व्यक्ति ने खनन विभाग के नाम पर फर्जी आदेश, नकली हस्ताक्षर और सरकारी मुहर का इस्तेमाल कर पुलिस थाने से पत्थर लदा ट्रक छुड़ा लिया। इस पूरे फर्जीवाड़े ने सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की सतर्कता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है मामला?
भदोही जिले के औराई थाना क्षेत्र में यह मामला सामने आया है। पुलिस ने बताया कि मिर्जापुर निवासी सिद्धनाथ पाल नाम का व्यक्ति बिना वैध दस्तावेजों के एक ट्रक को ले जा रहा था। यह ट्रक पत्थरों से लदा हुआ था। जब पुलिस को इसकी जानकारी मिली तो 22 मई को ट्रक को जब्त कर लिया गया और उसे औराई थाने में खड़ा कर दिया गया।
लेकिन इस कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब उसी रात सिद्धनाथ पाल ने एक फर्जी आदेश पत्र लेकर थाने पहुंचा, जिसमें यह लिखा गया था कि ट्रक को छोड़ा जाए। इस आदेश पर खनन निरीक्षक के हस्ताक्षर और जिलाधिकारी कार्यालय के खनन अनुभाग की मोहर लगी हुई थी।
फर्जी आदेश कैसे पकड़ा गया?

पुलिस को शुरुआत में यह आदेश असली लगा, इसलिए ट्रक को सिद्धनाथ पाल को सौंप दिया गया। लेकिन 23 मई को जब इस आदेश की प्रति खनन अधिकारी के पास सत्यापन के लिए भेजी गई, तो पूरी सच्चाई सामने आई। खनन अधिकारी ने साफ तौर पर बताया कि ऐसा कोई आदेश विभाग की ओर से जारी नहीं किया गया है, और ना ही ट्रक छुड़ाने के लिए कोई आवेदन दिया गया था।
थाना परिसर से कैसे निकला ट्रक?

खनन विभाग की मुहर और हस्ताक्षर से लैस इस फर्जी आदेश को देखकर पुलिसकर्मियों को कोई शक नहीं हुआ। आदेश को वैध मानते हुए उन्होंने ट्रक को उसी रात छोड़ दिया। इसका मतलब यह हुआ कि एक पूरी तरह फर्जी दस्तावेज के आधार पर पुलिसकर्मी गुमराह हो गए, और सरकारी संपत्ति को गलत तरीके से वापस कर दिया गया।
पुलिस ने क्या कार्रवाई की?

घटना का खुलासा होते ही पुलिस ने तत्परता दिखाई और आरोपी सिद्धनाथ पाल के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया है। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि क्या इस फर्जी आदेश में कोई अंदरूनी मिलीभगत तो नहीं है, और क्या इस तरह की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं।
भदोही पुलिस ने मामला दर्ज कर IPC की धाराओं के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि आरोपी को ये फर्जी आदेश बनाने में किन-किन लोगों की मदद मिली।

क्यों है यह मामला बेहद गंभीर?
इस घटना ने प्रशासन और पुलिस की सतर्कता पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि कोई भी व्यक्ति फर्जी आदेश और मुहर का उपयोग कर थाने से जब्त ट्रक छुड़ा सकता है, तो इससे बड़े अपराधों को भी अंजाम दिया जा सकता है।
- प्रशासनिक प्रणाली की विफलता:
यह घटना इस बात का संकेत है कि थानों में आए आदेशों की वैधता की जांच सही तरीके से नहीं की जा रही। - सुरक्षा पर सवाल:
ट्रक में यदि कोई और अवैध सामग्री होती तो क्या तब भी इसी तरह उसे छोड़ दिया जाता? - जवाबदेही किसकी?
इस घटना में थाने की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए कि आदेश पर बिना जांच के क्यों कार्रवाई की गई?
भदोही में पहले भी हो चुके हैं फर्जीवाड़े
भदोही में इससे पहले भी सरकारी दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ और फर्जीवाड़े के मामले सामने आ चुके हैं। कभी जाली जमीन रजिस्ट्रेशन, तो कभी खनन संबंधी फर्जी परमिट जारी किए गए। ऐसे में यह नया मामला एक बार फिर प्रशासन के लिए सतर्कता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की चुनौती बन गया है।
सवाल जो उठते हैं:
- पुलिस बिना पुष्टि के आदेश पर कैसे भरोसा कर बैठी?
- क्या ट्रक को छुड़वाने में थाने के किसी कर्मचारी की मिलीभगत थी?
- फर्जी मुहर और दस्तावेज बनाना अब कितना आसान हो गया है?
- क्या प्रशासन अब हर आदेश की डिजिटल पुष्टि करेगा?
जांच का इंतजार, सिस्टम में सुधार की ज़रूरत
फिलहाल, आरोपी पर केस दर्ज किया जा चुका है और जांच जारी है। लेकिन ये मामला यह सोचने पर मजबूर करता है कि यदि इतनी आसानी से कोई व्यक्ति पुलिस को चकमा दे सकता है, तो शासन-प्रशासन की बुनियादी व्यवस्थाओं को और पुख्ता करने की सख्त जरूरत है।
ऐसे में जिला प्रशासन को आदेशों की डिजिटल वेरिफिकेशन प्रणाली लागू करने पर काम करना चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़े को रोका जा सके।
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Source – India tv
Written By – Pankaj Chaudhary