Ankita Bhandari Murder Case उत्तराखंड की बेटी को मिला इंसाफ कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी ठहराया
3 साल, 97 गवाह और 47 पेशियाँ… तब जाकर मिला इंसाफ
उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी मर्डर केस में आखिरकार इंसाफ का पल आ ही गया। लगभग तीन साल तक चलने वाली इस लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोटद्वार की एडीजे कोर्ट ने बुधवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। अदालत ने वनतरा रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, उसके मैनेजर सौरभ भास्कर और कर्मचारी अंकित गुप्ता को दोषी करार दिया है।
इस मामले की सुनवाई का सिलसिला जनवरी 2023 में शुरू हुआ था और कुल 97 गवाहों में से 47 अहम गवाहों की गवाही के आधार पर यह फैसला सुनाया गया। विशेष लोक अभियोजक अवनीश नेगी ने अभियोजन पक्ष की ओर से मजबूत दलीलें पेश कीं, जिनके सामने बचाव पक्ष की दलीलें टिक नहीं पाईं।
अंकिता के माता-पिता की आंखों में छलका दर्द, पर मिला सुकून
फैसले से ठीक पहले अंकिता के पिता ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। उनकी बस एक ही मांग थी — दोषियों को सजा-ए-मौत दी जाए। उन्होंने कहा, “हमारी बेटी ने किसी का क्या बिगाड़ा था? उसको जान से मार दिया गया, अब कम से कम कानून से उन्हें ऐसी सजा मिले जिससे बाकी लोग सबक लें।”
अंकिता की मां भी कोर्ट परिसर में मौजूद रहीं और उन्होंने कहा कि वह कोर्ट के फैसले पर भरोसा रखती हैं। उनकी भावनाएं उस हर माता-पिता की तरह थीं जिसने अपना बच्चा खोया हो, और अब बस न्याय की उम्मीद बाकी थी।
क्या था अंकिता भंडारी मर्डर केस?

अंकिता भंडारी, पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में स्थित वनतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थीं। 22 साल की अंकिता 18 सितंबर 2022 को अचानक गायब हो गई थीं। उनकी गुमशुदगी की खबर जैसे ही बाहर आई, सोशल मीडिया पर यह मामला तूल पकड़ गया।
साथ ही, 24 सितंबर को चीला नहर से जब अंकिता का शव बरामद हुआ, तो पूरे उत्तराखंड और देशभर में गुस्से की लहर दौड़ गई। मामले में पुलकित आर्य (जो कि एक पूर्व भाजपा नेता का बेटा है), सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था।
क्यों हुआ था विरोध?

अंकिता की हत्या के पीछे की वजह बेहद चौंकाने वाली थी। बताया गया कि उस पर रिजॉर्ट के ग्राहकों को ‘स्पेशल सर्विस’ देने का दबाव डाला जा रहा था। जब उसने इससे इनकार किया, तो उसकी हत्या कर दी गई।
इस घटना के बाद उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन शुरू हो गए। महिलाओं और छात्रों के अलावा कई सामाजिक संगठनों ने इस मुद्दे पर सड़कों पर उतरकर सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की। यह जनदबाव ही था जिसकी वजह से सरकार ने केस की जांच के लिए एसआईटी गठित की।
एसआईटी की जांच और कोर्ट की कार्रवाई
एसआईटी की जांच के बाद अभियोजन पक्ष ने अदालत में 500 पेज की चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट में हत्या, सबूत मिटाने और आपराधिक षड्यंत्र की धाराएं लगाई गईं। कोटद्वार की एडीजे कोर्ट में 30 जनवरी 2023 से सुनवाई शुरू हुई।
28 मार्च 2023 से गवाहों की पेशी शुरू हुई। इस पूरी सुनवाई के दौरान 47 गवाहों की गवाही ली गई, जिनमें पुलिस अफसर, फॉरेंसिक विशेषज्ञ, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर, और अंकिता के परिवार के सदस्य शामिल थे।
कोर्ट का फैसला: दोषियों को सजा मिलना तय
अदालत ने सभी सबूतों और गवाहों की गवाही के आधार पर यह स्पष्ट कर दिया कि पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता हत्या के दोषी हैं। कोर्ट के फैसले के बाद अब अगली सुनवाई में सजा का ऐलान किया जाएगा। अंकिता के पिता ने कहा कि वे उम्मीद करते हैं कि दोषियों को फांसी की सजा मिले।
सामाजिक संदेश: महिलाओं की सुरक्षा सर्वोपरि

यह मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं था, बल्कि यह महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार और उनके खिलाफ आवाज उठाने का प्रतीक बन गया। उत्तराखंड सरकार को अब ऐसे मामलों में कड़े कानून बनाने की जरूरत है ताकि फिर किसी अंकिता को अपनी जान न गंवानी पड़े।
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