Kedarnath Badrinath क्या सच में खत्म हो जाएंगे केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम? जानिए स्कंद पुराण की रहस्यमयी भविष्यवाणी

Kedarnath Badrinath चारधाम यात्रा का हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है। हर साल लाखों श्रद्धालु इन तीर्थों के दर्शन के लिए हिमालय की ऊंचाइयों पर चढ़ते हैं—विशेष रूप से केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम पर श्रद्धालुओं की भीड़ सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। मगर हाल ही में एक पुरानी भविष्यवाणी ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
स्कंद पुराण की भविष्यवाणी: लुप्त हो जाएंगे ये पवित्र धाम?
स्कंद पुराण, जो हिंदू धर्म के प्रमुख 18 पुराणों में सबसे बड़ा माना जाता है, उसमें एक अद्भुत भविष्यवाणी दर्ज है। इसमें कहा गया है कि कलियुग के अंत में केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम अदृश्य हो जाएंगे। इसका अर्थ यह नहीं कि ये मंदिर किसी प्राकृतिक आपदा में टूट जाएंगे, बल्कि इनकी आध्यात्मिक शक्ति स्वयं ही इन्हें लुप्त कर देगी।
आस्था की कमी बन रही है चिंता का कारण
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र इस भविष्यवाणी की व्याख्या करते हुए बताते हैं कि आज के समय में भक्ति कम और दिखावा अधिक हो गया है।
“पहले लोग तीर्थ को ईश्वर का दर्शन मानते थे, अब वे इसे सिर्फ एक टूरिस्ट प्लेस मानने लगे हैं। लोग भगवान के साथ सेल्फी लेने, रील बनाने और मौज-मस्ती करने जाते हैं।”
इस बदलती सोच को स्कंद पुराण में पाप की प्रवृत्ति के रूप में वर्णित किया गया है, और यही कारण बताया गया है कि क्यों ये पवित्र स्थल भविष्य में लुप्त हो सकते हैं।

शास्त्रों में क्या लिखा है?
स्कंद पुराण के श्लोक में कहा गया है:
“कलियुगे क्षये प्राप्ते बदरी नारायणं हरिः। अपसृत्य हिमवतः कुन्तीकण्ठे स्थिता शिवाः॥”
इसका अर्थ है कि कलियुग के अंत में भगवान बदरी नारायण और भगवान केदारनाथ (शिव) हिमालय क्षेत्र छोड़ देंगे और किसी अन्य गुप्त स्थान पर निवास करेंगे। वहाँ केवल वही भक्त पहुंच पाएंगे जिनकी आस्था सच्ची होगी।
क्या है भविष्य बद्री और भविष्य केदार?
भविष्यवाणी के अनुसार जब ये दोनों तीर्थ लुप्त हो जाएंगे, तब इनकी जगह भविष्य बद्री और भविष्य केदारनाथ नामक नए तीर्थ उभरेंगे। ये स्थल उन्हीं लोगों के लिए होंगे जिनके भीतर श्रद्धा और भक्ति बची होगी। यानी कि केवल वही लोग वहाँ दर्शन कर सकेंगे जिनकी नीयत और आस्था शुद्ध होगी।
नरसिंह देव की मूर्ति से जुड़ी रहस्यमयी बात
स्कंद पुराण के अनुसार, जब जोशीमठ में स्थित नरसिंह भगवान की मूर्ति की उंगलियां पूरी तरह पतली होकर अलग हो जाएंगी, तब बद्रीनाथ धाम का रास्ता बंद हो जाएगा और वह स्थल लुप्त हो जाएगा। वर्तमान में मूर्ति की उंगलियां सचमुच पतली होती दिखाई दे रही हैं।
2013 की केदारनाथ आपदा: क्या थी यह एक संकेत?
2013 में केदारनाथ में आई भयावह बाढ़ को भी कुछ विद्वान इस भविष्यवाणी की चेतावनी मानते हैं। मंदिर बच गया, लेकिन हजारों लोगों की जान गई। यह संकेत था कि यदि हम तीर्थों को गंभीरता से न लें, तो आने वाले समय में इनकी कृपा हमसे दूर हो सकती है।
हाल की घटनाएं: आधुनिक प्रतीक?
15 जून 2025 को रुद्रप्रयाग में तीर्थयात्रियों को लेकर जा रहा एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें सभी यात्रियों की मृत्यु हो गई। कुछ जानकार इसे आध्यात्मिक संकेत मानते हैं कि जब प्रकृति और तीर्थों के साथ खिलवाड़ होता है, तब धर्म स्वयं चेतावनी देता है।

तीर्थ को पर्यटन नहीं बनाएं
आज आवश्यकता इस बात की है कि हम तीर्थ स्थलों का सम्मान करें, न कि उन्हें पर्यटन स्थलों की तरह देखें।
अपनी आस्था को दिखावे का माध्यम न बनाएं
देवस्थलों में शांति बनाए रखें
सेल्फी, वीडियो और शोरगुल से बचें
प्राकृतिक चीज़ों को नुकसान न पहुंचाएं