Mhow Hospital दिल दहला देने वाली लापरवाही नवजात को कुत्ता मुंह में दबाकर बाहर ले गया

मध्य प्रदेश के महू से एक अमानवीय और रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना सामने आई है, जिसने न केवल अस्पताल प्रबंधन की संवेदनहीनता को उजागर किया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्थाएं कितनी कमजोर और लापरवाह हो चुकी हैं। एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की रात में पेट दर्द की शिकायत लेकर अस्पताल आई, डॉक्टर से चेकअप करवाया, लेकिन अस्पताल में भर्ती हुए बिना ही टॉयलेट चली गई। कुछ देर बाद वह गायब हो गई और वहीं उसने एक नवजात को जन्म दिया। जो हुआ, वह किसी भी सभ्य समाज के लिए कलंक की तरह है।
अस्पताल बना मौत का अड्डा: कैसे हुआ हादसा?
▶ नाबालिग लड़की की एंट्री

शनिवार की रात करीब 2:15 बजे, एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की पेट दर्द की शिकायत लेकर महू के सरकारी अस्पताल पहुंची थी। उसने ओपीडी की पर्ची कटवाई और डॉक्टर से चेकअप करवाया। डॉक्टर ने उसे भर्ती होने की सलाह दी, लेकिन वह बिना किसी को बताए अस्पताल के शौचालय चली गई।
▶ टॉयलेट में दिया बच्चे को जन्म
कुछ ही देर बाद, उसी टॉयलेट में उसने एक नवजात को जन्म दिया। बच्चा वहीं पड़ा रहा और लड़की चुपचाप वहां से गायब हो गई। न अस्पताल का कोई स्टाफ अलर्ट हुआ, न सुरक्षा गार्ड को कोई जानकारी मिली।
▶ सुबह दिखा दिल दहला देने वाला दृश्य

सुबह करीब 5:30 बजे, जब अस्पताल स्टाफ का शिफ्ट बदला, तब यह भयानक मंजर सामने आया। अस्पताल परिसर में एक आवारा कुत्ता मुंह में एक नवजात का शव दबाए घूमता नजर आया। स्टाफ ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वह भागता रहा।
कुछ देर बाद अस्पताल परिसर में नवजात का शव दो हिस्सों में बरामद किया गया। यह पता लगाना मुश्किल हो गया कि ये बच्चा किसका है और कौन उसे जन्म देकर वहां छोड़ गया।
CCTV और प्रबंधन की चूक

इस पूरी घटना के बाद जब सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह फेल रही। टॉयलेट जैसे संवेदनशील क्षेत्र में कोई महिला वार्डन तैनात नहीं थी।
गंभीर सवाल ये भी है कि आखिर स्टाफ को यह कैसे नहीं पता चला कि एक नाबालिग प्रसव पीड़ा में थी और वह कहां चली गई?
प्रशासन और डॉक्टरों की भूमिका पर सवाल
अस्पताल प्रशासन की लापरवाही साफ दिखाई देती है। डॉक्टर ने लड़की को भर्ती करने की सलाह दी थी, लेकिन उसके बाद किसी ने यह नहीं देखा कि वह कहां है? किसी ने यह भी नहीं सोचा कि एक नाबालिग को अकेले टॉयलेट भेजना सुरक्षित है या नहीं।
यह सिर्फ एक मानवीय भूल नहीं, बल्कि सिस्टम की घोर असफलता है।
पुलिस जांच शुरू, लड़की की तलाश जारी
घटना के बाद महू पुलिस ने अस्पताल का मुआयना किया और नाबालिग लड़की की तलाश शुरू कर दी है। CCTV फुटेज की मदद से यह जानने की कोशिश की जा रही है कि वह किसके साथ आई थी और कहां गई।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बच्चे के जन्म को कुछ घंटे पुराना बताया गया है, जिससे पुष्टि होती है कि यह बच्चा उसी रात जन्मा था।
क्या था अस्पताल की ओर से बयान?
अस्पताल के सीएमएचओ (CMHO) ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
“यह एक बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। हमने जांच के आदेश दे दिए हैं और स्टाफ से जवाब मांगा है कि आखिर कैसे यह लड़की टॉयलेट में गई और किसी को पता नहीं चला।”
लेकिन सवाल यह है कि क्या जवाब देने से किसी बच्चे की जान वापस आएगी? क्या अब अस्पताल भरोसेमंद स्थान रह गए हैं?
सामाजिक सोच और शिक्षा की कमी
यह घटना समाज में यौन शिक्षा और नारी स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी को भी उजागर करती है। नाबालिग लड़कियों को अक्सर सही जानकारी नहीं होती और जब वे संकट में होती हैं, तो समाज से छुपाने के लिए ऐसे कदम उठाती हैं जो जानलेवा साबित होते हैं।
पूर्व घटनाएं और समानता
यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी देश के अलग-अलग कोनों से अस्पतालों में नवजातों की लापरवाही से मौत की खबरें आती रही हैं। चाहे वो स्टाफ की गलती हो, माता-पिता की मजबूरी या सामाजिक शर्मिंदगी।
जिम्मेदारी किसकी?
- क्या अस्पताल के डॉक्टर जिम्मेदार हैं?
- क्या गार्ड और स्टाफ अपनी ड्यूटी से चूक गए?
- क्या समाज ने उस नाबालिग को इतना डरा दिया कि वह अपने बच्चे को जन्म देने के बाद भाग गई?
इन सवालों के जवाब जरूरी हैं, ताकि भविष्य में कोई और मासूम ऐसी बर्बरता का शिकार न हो।
जागरूकता ही समाधान
- अस्पतालों में महिलाओं की देखभाल के लिए विशेष स्टाफ तैनात हो।
- सीसीटीवी और मॉनिटरिंग सिस्टम को 24×7 एक्टिव रखा जाए।
- स्कूलों में यौन शिक्षा को अनिवार्य किया जाए।
- नाबालिग और अविवाहित माताओं के लिए सुरक्षित हेल्पलाइन और आश्रय गृह बनाए जाएं।