Rajasthan Churu जहां -4.6°C से 50.5°C तक जाता है तापमान, क्या ये शहर जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा उदाहरण बन चुका है?
चुरू: एक जलवायु रहस्य

राजस्थान का चुरू शहर पिछले कुछ वर्षों से मौसम वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों के लिए एक पहेली बन चुका है। कभी यह भारत का सबसे ठंडा इलाका बनता है, तो कभी सबसे गर्म। -4.6 डिग्री सेल्सियस से लेकर 50.5 डिग्री तक का तापमान झेलने वाला यह शहर अब “Extreme Weather Capital of India” के नाम से जाना जाने लगा है।
हाल ही में चुरू का तापमान 45.8°C दर्ज किया गया, जिससे यह फिर से देश के टॉप 3 सबसे गर्म इलाकों में शामिल हो गया। लेकिन सवाल ये है कि ऐसा होता क्यों है? क्या सिर्फ थार रेगिस्तान जिम्मेदार है या कुछ और गहराई है इस मौसम में?

इतिहास के पन्नों से: तापमान का लेखा-जोखा
- 28 दिसंबर 1973: चुरू का न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड हुआ -4.6°C
- 1 जून 2019: चुरू में अधिकतम तापमान 50.5°C दर्ज हुआ
- हर साल: मई-जून में तापमान 47-50°C तक पहुंचता है
- सर्दियों में: तापमान 0°C से नीचे भी चला जाता है
इन आंकड़ों से साफ है कि चुरू का मौसम किसी रोलर-कोस्टर से कम नहीं।

चुरू को बनाता है अलग: मुख्य कारण
1. थार रेगिस्तान का प्रभाव
थार रेगिस्तान की रेत में ऊष्मा जल्दी से अवशोषित होती है और रात में यह तेजी से निकल जाती है। इसी वजह से दिन और रात के तापमान में जबरदस्त अंतर आता है। गर्मियों में रेत दिनभर तपती है और रात को बर्फ जैसी ठंडक महसूस होती है।
2. अंतरराष्ट्रीय गर्म हवाएं
गर्मियों में पश्चिमी हवाएं अरब, ईरान और अफगानिस्तान जैसे इलाकों से आती हैं। ये हवाएं पहले ही 45°C के आसपास होती हैं और जब ये चुरू के रेगिस्तानी इलाके से टकराती हैं, तो तापमान और बढ़ जाता है।
3. बादलों की कमी और नमी का अभाव
चुरू में आर्द्रता का स्तर बेहद कम होता है। बादलों की कमी से सूर्य की किरणें सीधे जमीन पर गिरती हैं, जिससे सतह तेजी से गर्म होती है। यही कारण है कि दिन का तापमान अचानक बहुत ऊपर चला जाता है।
4. रात की बर्फ जैसी सर्दी का कारण
सर्दियों में चुरू में क्लाउड कवर न के बराबर होता है। हवा में नमी नहीं होती और रेत रात को पूरी गर्मी छोड़ देती है, जिससे तापमान एकदम गिर जाता है।
जलवायु परिवर्तन की जद में चुरू

जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि चुरू अब क्लाइमेट चेंज का जीवंत उदाहरण बन गया है। पिछले 10 वर्षों में यहां:
- औसत तापमान में 1.5°C की बढ़ोतरी दर्ज हुई है
- दिन और रात का तापमान अंतर 15°C से बढ़कर 20°C से ज्यादा हो चुका है
- हवा में PM10 और PM2.5 जैसे सूक्ष्म कणों की मात्रा बढ़ी है
UNDP की रिपोर्ट बताती है कि चुरू उन शहरों में शामिल है जो सबसे तेज़ी से जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहे हैं।
प्रभाव: चुरू के लोग और जीवनशैली पर असर
चुरू का मौसम अब सिर्फ मौसम विभाग की रिपोर्टों का विषय नहीं रहा। इसका सीधा असर वहां के निवासियों पर पड़ता है:
1. खेती पर प्रभाव
अत्यधिक गर्मी मिट्टी से नमी खींच लेती है, जिससे फसलों की उपज पर असर होता है। सर्दियों में पाला फसलों को बर्बाद कर देता है।
2. पशुपालन प्रभावित
गर्मी में पशु चरागाह तक नहीं जा पाते। दूध उत्पादन में गिरावट आती है और पशुओं को बीमारियां जल्दी घेरती हैं।
3. पानी की किल्लत
गर्मी में भूजल स्तर तेजी से गिरता है। हैंडपंप और कुएं सूखने लगते हैं। जल संकट आम जीवन का हिस्सा बन चुका है।
सरकारी प्रयास और स्थानीय उम्मीदें
राजस्थान सरकार और स्थानीय प्रशासन ने चुरू में जल प्रबंधन और वृक्षारोपण जैसे कुछ प्रयास किए हैं, लेकिन वह अब भी नाकाफी साबित हो रहे हैं। स्थानीय निवासी मांग कर रहे हैं कि:
- पानी के स्थायी स्रोत विकसित किए जाएं
- अधिक पेड़ लगाए जाएं
- मौसम पर निगरानी रखने के लिए अत्याधुनिक उपकरण लगाएं जाएं