Thane Local Train Accident चलती लोकल ट्रेन से गिरकर 5 की मौत, कई घायल

मुंबई/ठाणे:
सोमवार सुबह मुंबई के उपनगरीय इलाके ठाणे में एक दर्दनाक रेल हादसा हुआ। चलती लोकल ट्रेन से गिरकर पांच यात्रियों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह हादसा दीवा और मुंब्रा रेलवे स्टेशन के बीच हुआ, जहां अत्यधिक भीड़ के चलते यात्री ट्रेन के दरवाजों से लटककर यात्रा कर रहे थे। इस भयानक घटना ने लोकल ट्रेन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हादसा कब और कहां हुआ?

हादसा सुबह के व्यस्ततम समय में हुआ, जब अधिकतर लोग अपने ऑफिस और काम पर जाने के लिए लोकल ट्रेनों में सफर कर रहे थे। दीवा और मुंब्रा के बीच की दूरी महज कुछ किलोमीटर है, लेकिन इसी दौरान ट्रेन में सवार कई यात्री गिर गए। इनमें से पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अन्य को गंभीर अवस्था में अस्पताल ले जाया गया।
ट्रेन में भीड़ थी या प्रशासन की लापरवाही?

इस हादसे की मुख्य वजह ट्रेन में अत्यधिक भीड़ बताई जा रही है। जिस समय यह घटना हुई, ट्रेन में जगह नहीं होने के कारण दर्जनों यात्री दरवाजों और फुटबोर्ड पर लटककर सफर कर रहे थे। रेलवे प्रशासन की ओर से अब तक यही माना गया है कि भीड़ के कारण यात्री असंतुलित होकर ट्रेन से गिर गए।
एक चश्मदीद ने बताया:

“ट्रेन में चढ़ने की कोई जगह नहीं थी। लोग दरवाजे पर लटके हुए थे। अचानक धक्का लगा और कई लोग एक साथ गिर पड़े। कुछ लोग पटरी के किनारे गिरते ही बेहोश हो गए, कुछ की मौके पर ही मौत हो गई।”
घायलों का इलाज और स्थिति
इस हादसे में घायल लोगों को कलवा स्थित सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों की टीम घायलों का इलाज कर रही है। कुछ घायलों की स्थिति गंभीर बनी हुई है, जिनका ICU में इलाज चल रहा है। हालांकि मृतकों की पहचान फिलहाल नहीं की गई है।
सेंट्रल रेलवे का बयान
सेंट्रल रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि,
“सुबह लगभग 9 बजे के आसपास दीवा और मुंब्रा के बीच कुछ यात्री अत्यधिक भीड़ के कारण चलती ट्रेन से गिर गए। हमनें तुरंत राहत कार्य शुरू किया और घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। लोकल सेवाओं को बहाल करने की कोशिश की जा रही है।”
रेलवे ने पुष्टि की है कि घटना के बाद कुछ समय के लिए ट्रैक पर यातायात बाधित रहा, जिससे लोकल ट्रेनें देरी से चलीं और ऑफिस जाने वाले हजारों यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
मुंबई लोकल की क्रोनिक समस्या: भीड़
मुंबई की लोकल ट्रेनें हर दिन करीब 80 लाख यात्रियों को ढोती हैं। लेकिन पीक आवर्स यानी सुबह 7 से 11 बजे और शाम 5 से 9 बजे के बीच ट्रेनों में अत्यधिक भीड़ होती है। इस दौरान दरवाजों पर लटकना और प्लेटफॉर्म से ट्रेन में कूदना आम बात हो चुकी है। हालांकि रेलवे ने पिछले कुछ वर्षों में कई प्रयास किए हैं, लेकिन यात्री भार के मुकाबले सुविधाएं अभी भी नाकाफी हैं।
रेलवे सुरक्षा पर उठे सवाल
इस हादसे के बाद रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। सोशल मीडिया पर लोग इस हादसे पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं और रेलवे से यह मांग कर रहे हैं कि ट्रेन की संख्या बढ़ाई जाए, डिब्बों की संख्या में इज़ाफा किया जाए और ऑटोमैटिक डोर सिस्टम लागू किया जाए।
एक ट्विटर यूजर ने लिखा:
“मुंबई लोकल में हर दिन मौत का खतरा लेकर सफर करते हैं। कब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे? रेलवे को जल्द सुधार करना होगा।”
महाराष्ट्र सरकार और रेलवे मंत्रालय पर दबाव
घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार और केंद्रीय रेलवे मंत्रालय दोनों पर दबाव बना है कि वे इस मामले में न केवल जांच कराएं, बल्कि मुंबई लोकल में सुधारात्मक कदम भी उठाएं। विपक्षी दलों ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह हादसा लापरवाही का नतीजा है।
हादसों के आंकड़े और पिछली घटनाएं
मुंबई में इस तरह के हादसे पहले भी हो चुके हैं। साल 2023 में रेलवे द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, केवल मुंबई सेंट्रल डिवीजन में ही 2500 से ज्यादा लोग लोकल ट्रेन हादसों में मारे गए थे। इनमें से ज्यादातर मौतें ट्रेन से गिरने या पटरी पार करते समय हुईं।
क्या है आगे की राह?
रेलवे और प्रशासन को अब यह तय करना होगा कि मुंबई लोकल की बढ़ती समस्याओं को कैसे हल किया जाए। विशेषज्ञों का मानना है कि भीड़ को कम करने के लिए वैकल्पिक परिवहन जैसे मेट्रो को बढ़ावा देना चाहिए। इसके साथ ही लोकल ट्रेन में सुरक्षा उपायों को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।