बांग्लादेश में हिंदुओं पर हर गुजरते दिन के साथ बढ़ते अत्याचार एक गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं। लगभग 1 करोड़ 31 लाख हिंदू यहां असुरक्षा के माहौल में जी रहे हैं। आए दिन हिंदुओं के खिलाफ हिंसा, मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ने जैसी घटनाएं हो रही हैं। विरोध करने वालों को जान से मारने तक की घटनाएं सामने आ रही हैं। इन घटनाओं के पीछे ज्यादातर नाम एक संगठन का आता है—जमात-ए-इस्लामी। यह कट्टरपंथी संगठन हिंदुओं के खिलाफ षड्यंत्र रचने और उसे अंजाम देने के लिए कुख्यात हो चुका है।
जमात-ए-इस्लामी का इतिहास और इसके बनने का उद्देश्य
जमात-ए-इस्लामी की स्थापना 1941 में लाहौर में इस्लामिक विचारक अबुल आला मौदूदी ने की थी। शुरुआती दौर में यह संगठन इस्लाम का प्रचार करने के लिए बनाया गया था। भारत के विभाजन से पहले, यह संगठन अखंड भारत के लिए समर्पित था और मुस्लिम लीग के विभाजनकारी एजेंडे का विरोध करता था। लेकिन विभाजन के बाद, यह संगठन टूट गया। भारत में इसका स्वरूप “जमात-ए-इस्लामी हिंद” के रूप में बदल गया, जबकि पाकिस्तान और बाद में बांग्लादेश में यह कट्टरपंथी संगठन बन गया।
बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी का वर्चस्व
बांग्लादेश में यह संगठन धीरे-धीरे हिंदुओं पर हमले करने और उनकी धार्मिक आजादी छीनने के षड्यंत्र में जुट गया। खासतौर पर 1971 के बाद से, जब बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग हुआ, जमात ने अपने एजेंडे को और तेज कर दिया। शेख हसीना की सरकार ने लंबे समय तक इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन जैसे ही उनकी गैरमौजूदगी हुई, जमात ने खुलकर अपनी गतिविधियां शुरू कर दीं। आज हालात यह हैं कि जमात के खिलाफ आवाज उठाना मौत को बुलावा देने जैसा हो गया है।
जमात-ए-इस्लामी और पाकिस्तान का गहरा संबंध
जमात-ए-इस्लामी को पाकिस्तान से न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक समर्थन भी मिलता है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI जमात के लिए भारत विरोधी साजिशें रचती है। जमात के जिहादियों को पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण दिया जाता है और उन्हें बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा करने के लिए भेजा जाता है। यह साजिश न केवल बांग्लादेश के हिंदुओं को बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए भी बड़ा खतरा है।
हिंदुओं के खिलाफ जमात का एजेंडा
1947 में बांग्लादेश में हिंदुओं की जनसंख्या 22 प्रतिशत थी, जो आज घटकर मात्र 8 प्रतिशत रह गई है। जमात का उद्देश्य इस आंकड़े को शून्य पर लाना है। इसके तहत, उन्होंने मंदिरों और मूर्तियों पर हमले तेज कर दिए हैं। नवरात्र जैसे पवित्र त्योहारों के दौरान हिंदुओं को पूजा से रोकने और धर्मांतरण के लिए मजबूर करने की घटनाएं आम हो गई हैं। जमात के निशाने पर खासतौर पर ISKCON जैसे हिंदू धार्मिक संगठन हैं, जिन्हें वे भारतीय साजिश का अड्डा बताने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत के इलाकों पर भी है जमात की नजर
जमात की महत्वाकांक्षा “अखंड बांग्लादेश” के नक्शे तक सीमित नहीं है। वे भारत के पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और पूर्वोत्तर राज्यों को अपने नक्शे में शामिल करते हुए “बांग्लास्तान” बनाने की साजिश रच रहे हैं। इस योजना का अंतिम उद्देश्य बांग्लादेश को इस्लामिक देश बनाकर पाकिस्तान के साथ विलय करना है।