Monday, July 7, 2025

BRICS समिट में भारत की कूटनीतिक जीत, आतंकवाद पर सख्त रुख, चीन ने बदले पहलगाम पर सुर

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BRICS समिट में भारत की कूटनीतिक जीत, भारत ने आतंकवाद पर सुनाई खरी-खरी, तो पहलगाम पर बदले चीन के सुर

BRICS समिट 2025 में भारत ने कूटनीतिक रूप से अहम जीत हासिल की। प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्रालय की टीम ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मंच पर कड़ा रुख दिखाया, जिस पर सभी देशों ने सहमति जताई। खास बात यह रही कि पहले पहलगाम को लेकर सख्त रुख अपनाने वाला चीन अब नरम पड़ा दिखाई दिया। विशेषज्ञ इसे भारत की रणनीतिक और वैश्विक प्रभाव में बढ़ोतरी के रूप में देख रहे हैं।

Brics Nations Condemn Pahalgam Attack; Call For Shunning Double Standards  In Combating Terrorism

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 कई मायनों में खास है. इस सम्मेलन के तहत जहां पश्चिमी देशों खासकर अमेरिका को ये संदेश मिलता है कि कई देश ऐसे हैं, जो उसकी बादशाहत को चुनौती देने के लिए खड़े हैं तो वहीं भारत के लिए इस बार ये सम्मेलन इसलिए भी खास है क्योंकि आतंकवाद पर सभी देश एक साथ आए हैं. समिट के घोषणा पत्र में भारत में पाकिस्तान की ओर से हुए आतंकी हमले की निंदा की गई है, जिसका सीधा मतलब है कि वे मानते हैं कि इस हमले में पाकिस्तान का सीधा हाथ है.

ये घोषणा पत्र खास इसलिए भी है क्योंकि येपाकिस्तान के जिगरी दोस्त बने चीन की उपस्थिति में तैयार किया गया है. ब्रिक्स देशों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका शामिल हैं. इसके बढ़े हुए स्वरूप में कुछ और देश भी शामिल हुए हैं और सबने मिलकर सम्मेलन के घोषणा पत्र में पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए इसे क्रूर आतंकवादी घटना कहा है.

BRICS घोषणा पत्र में क्या कहा गया?

Pm In Brics

ब्रिक्स देशों के साझा घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले की धारा 34 में कड़े शब्दों में निंदा की गई है. इस हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी और कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए थे. घोषणापत्र में इस हमले का जिक्र करते हुए इसे ‘आतंकवाद की क्रूर और अमानवीय कार्रवाई’ बताया गया है. भारत के लिए ये बड़ी कूटनीतिक सफलता है क्योंकि इस मंच पर चीन भी मौजूद था. हालांकि पूरे घोषणापत्र में पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर कहीं नहीं है लेकिन सीमा-पार आतंकवादियों की आवाजाही और आतंक की सुरक्षित पनाहगार और आतंकियों को आर्थिक सहयोग जैसे शब्दों का जिक्र जरूर किया गया है. इन शब्दों का सीधा इशारा पाकिस्तान की ओर ही है.

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Brics समिट में भारत की कूटनीतिक जीत, आतंकवाद पर सख्त रुख, चीन ने बदले पहलगाम पर सुर 10

क्यों महत्वपूर्ण है चीन की मौजूदगी?

वैश्विक मंच पर बिना टकराव के आतंक के एपिसेंटर की ओर सभी देशों का ध्यान खींचा गया है. घोषणापत्र में आतंकवाद को लेकर बेहद सख्त रुख अपनाया गया है. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि आतंकवाद को किसी भी धर्म, नस्ल या नागरिकता से जोड़ना पूरी तरह अनुचित है. इसके साथ ही सभी सदस्य देशों ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर सहमति जताई और जोर दिया कि अब आतंकवाद से निपटने में दोहरे मापदंड अब स्वीकार नहीं किए जाएंगे. चीन की मौजूदगी में पहलगाम हमले पर इस तरह का घोषणा पत्र महत्वपूर्ण इसलिए हो जाता है क्योंकि इससे पहले चीन ने कभी भी इस मुद्दे पर अपना सकारात्मक रुख नहीं दिखाया था. उल्टा वो हमेशा ही पाकिस्तान के हक में ये कहकर खड़ा रहा कि वो आतंकवाद का पीड़ित है.

ब्रिक्स समिट के साझा बयान में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा, पीएम मोदी ने Un को  भी सुनाया - Action Should Be Taken Against Terrorism As Per Un Charter Brics  Countries Condemning

SCO में नहीं हुआ था पहलगाम का जिक्र

इससे पहले शंघाई सहयोग संगठन यानि SCO के संयुक्त बयान में पहलगाम हमले की निंदा नहीं हुई थी, जिसे भारत ने गंभीरता से लिया. हालांकि इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली थी, बावजूद इसके SCO की बैठक में इसे आतंकी हमला मानकर इसकी निंदा से इनकार कर दिया गया था. भारत ने SCO के संयुक्त बयान का समर्थन करने से इनकार कर दिया, क्योंकि इसमें पहलगाम हमले का उल्लेख नहीं था जबकि बलूचिस्तान में आतंकी गतिविधियों का जिक्र किया गया था. भारत ने इसे पाकिस्तान के भारत-विरोधी प्रचार के रूप में देखा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में इस दस्तावेज पर साइन नहीं किया. यही वजह रही कि बैठक बिना संयुक्त बयान के समाप्त हुई.

BRICS में कूटनीतिक कामयाबी

SCO में चीन और रूस के रुख को देखते हुए पहलगाम हमले का जिक्र न होना भारत की कूटनीतिक विफलता माना जा रहा था लेकिन BRICS में आतंकवादी हमले के तौर पर पहलगाम का उल्लेख होना साफ करता है कि यहां भारत की डिप्लोमेसी हिट रही है. चीन की मौजूदगी में संयुक्त घोषणा पत्र जारी होने का मतलब है कि चीन ने अपना रुख बदला और वो भी इस बात को मान रहा है कि पहलगाम में जो कुछ हुआ, वो आतंकी साजिश था. इस घोषणा पत्र से जिसे नुकसान हुआ है, वो पाकिस्तान है, जिसे ये बात पच ही नहीं रही होगी.

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