उम्मीदों की पटरी पर दौड़ती Chenab Bridge की रेल: पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में बदलाव की नई शुरुआत
Chenab Bridge जम्मू-कश्मीर में आतंक की आहट के बीच अब विकास की रफ्तार सुनाई देने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल चिनाब ब्रिज का उद्घाटन करेंगे, जो कि सिर्फ एक संरचना नहीं बल्कि केंद्र सरकार की यह दृढ़ घोषणा है—”चाहे जो हो जाए, विकास नहीं रुकेगा।”

पहलगाम हमले के जख्म अभी ताज़ा हैं, लेकिन उम्मीदें ज़िंदा हैं
दो महीने पहले जब पहलगाम की वादियों में गोलियों की गूंज सुनाई दी, तब 26 मासूम लोगों की जान चली गई। ये हमला कश्मीर की छवि को गहरा आघात देने वाला था। पर अब जब चिनाब ब्रिज का उद्घाटन होने जा रहा है, तो ये सिर्फ एक पुल नहीं बल्कि एक संदेश है—डर से नहीं, हम निर्माण से जवाब देंगे।
दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल: एक अद्भुत इंजीनियरिंग चमत्कार
नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चिनाब ब्रिज एफिल टॉवर से 35 मीटर ऊंचा है और कुतुब मीनार से पांच गुना अधिक ऊंचा।
- लंबाई: 1.31 किलोमीटर
- लागत: ₹1,486 करोड़
- निर्माण में लगा समय: 20 साल से अधिक
- इस्पात का उपयोग: 28,660 मेगाटन स्टील
यह पुल -10 से 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान में काम करने की क्षमता रखता है और 266 किमी/घंटा तक की हवाओं के साथ-साथ तीव्र भूकंपों को झेलने में सक्षम है। इसकी संरचना इतनी मजबूत है कि यदि किसी स्तंभ को क्षति पहुंचे तो भी यह चालू रह सकता है।
History in the making… Just 3 days to go!
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) June 3, 2025
The mighty #ChenabBridge, the world’s highest railway bridge, stands tall in #JammuandKashmir.
Part of the Udhampur-Srinagar-Baramulla Railway Link (USBRL). Built to withstand nature’s toughest tests.
PM Sh @narendramodi to… pic.twitter.com/EQnC0m1per
विकास बनाम आतंकवाद: रेलवे ने बनाई घाटी तक पहुंच
यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना का हिस्सा है, जो कुल 272 किलोमीटर लंबी है।
- परियोजना में 42,000 करोड़ से अधिक का निवेश किया गया
- 90% हिस्सा पुलों और सुरंगों से होकर गुजरता है
- भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग T-50 (12.77 किमी) भी इसमें शामिल है
यह परियोजना कश्मीर के लिए साल भर हेल्थ सप्लाई, व्यापारिक माल, और पर्यटकों के लिए निर्बाध संपर्क सुनिश्चित करेगी।
विशेष वंदे भारत ट्रेन: बर्फ में भी बिना रुके चलेगी उम्मीद की रेल
रेलवे ने घाटी के लिए विशेष वंदे भारत ट्रेन तैयार की है, जिसमें आधुनिक सुविधाएं हैं:
- शून्य से नीचे तापमान में भी संचालन संभव
- ओवरहीट प्रोटेक्शन सेंसर
- सिलिकॉन हीटिंग पैड
- टूरिस्ट फ्रेंडली इंटीरियर्स
यह ट्रेन कश्मीर में पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।

पहलगाम हमले के बाद पहली बड़ी सरकारी कार्रवाई: विकास से मिलेगा जवाब
पहले यह उद्घाटन 19 अप्रैल को होना था, लेकिन पहलगाम में हुए हमले के बाद दौरा टल गया। अब, जब फिर से प्रधानमंत्री कश्मीर पहुंचेंगे, तो यह महज उद्घाटन नहीं बल्कि आतंक के खिलाफ कड़ा संदेश होगा—घाटी को डर की नहीं, विकास की ज़रूरत है।
स्थानीय व्यापारियों की उम्मीदें और आवाज़ें
घाटी के व्यापारियों ने पहलगाम हमले के बाद सड़कों पर उतरकर आवाज़ बुलंद की थी कि आतंक को कश्मीर के भविष्य से दूर रखा जाए। अब इस पुल और वंदे भारत ट्रेन के माध्यम से उन आवाज़ों को नया प्लेटफॉर्म मिल रहा है।
कश्मीर में उम्मीदों की नई शुरुआत: चिनाब ब्रिज का उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिन बाद जम्मू-कश्मीर का दौरा करेंगे, जहां वे दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल चिनाब ब्रिज का उद्घाटन करेंगे। इस ब्रिज का उद्घाटन केवल एक इंजीनियरिंग उपलब्धि नहीं, बल्कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद घाटी में केंद्र सरकार का एक मजबूत संदेश भी है—कश्मीर में विकास की रफ्तार को कोई नहीं रोक सकता।
क्यों खास है चिनाब ब्रिज?

यह ब्रिज समुद्र तल से 359 मीटर ऊपर स्थित है और इसे पेरिस के एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊंचा बताया गया है। यह पुल उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) का हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2003 में मंजूरी मिली थी और इसके निर्माण में दो दशक से भी अधिक का समय लग गया।
इसमें करीब 28,660 मेगाटन स्टील, जोकि लगभग 2,86,60,000 किलोग्राम है, का उपयोग किया गया है।
पुल की कुल लंबाई 1.31 किलोमीटर है और निर्माण लागत 1,486 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
इंजीनियरिंग की मिसाल: असंभव को संभव बनाया
हिमालय क्षेत्र की कठिन भौगोलिक स्थिति, अत्यधिक ठंड और दुर्गम इलाकों के बीच इस पुल का निर्माण करना एक बहुत बड़ी चुनौती थी। इंजीनियरों को 266 किमी/घंटे तक की हवा और उच्च तीव्रता के भूकंपों को सहने वाला पुल डिज़ाइन करना पड़ा।
पुल को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि अगर इसका कोई मुख्य स्तंभ क्षतिग्रस्त हो जाए, तो भी ट्रेनें धीरे-धीरे पुल से गुजर सकेंगी। यह सुरक्षा और स्थायित्व दोनों के दृष्टिकोण से एक अनोखा डिज़ाइन है।
वंदे भारत ट्रेन: घाटी में नई रफ्तार
प्रधानमंत्री मोदी चिनाब ब्रिज के साथ-साथ कटरा से श्रीनगर तक वंदे भारत ट्रेन सेवा को भी हरी झंडी दिखाएंगे। यह ट्रेन खासतौर पर घाटी की जलवायु को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है:
- इसमें सिलिकॉन हीटिंग पैड्स लगाए गए हैं ताकि पानी जमने न पाए।
- ट्रेन में ओवरहीट प्रोटेक्शन सेंसर भी लगे हैं ताकि शून्य से नीचे के तापमान में भी इसका संचालन बाधित न हो।
यह ट्रेन पर्यटन के साथ-साथ व्यापार, दवा आपूर्ति, और स्थानीय उत्पादों की डिलीवरी में अहम भूमिका निभाएगी।
पहलगाम हमला: पर्यटन पर लगा धब्बा
19 अप्रैल को चिनाब ब्रिज का उद्घाटन होना था, लेकिन पीएम का दौरा रद्द हो गया। तीन दिन बाद पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले में 25 पर्यटकों और एक कश्मीरी नागरिक की नृशंस हत्या कर दी गई। इससे घाटी के पर्यटन को गहरा झटका लगा।
पहली बार ऐसा हुआ जब पर्यटकों को इस तरह निशाना बनाया गया। स्थानीय व्यापारियों ने हमले के खिलाफ सड़कों पर उतर कर विरोध किया और यह संदेश दिया कि घाटी अब आतंकवाद के आगे नहीं झुकेगी।
रेलवे प्रोजेक्ट से विकास और रणनीति दोनों
उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक 272 किलोमीटर लंबा प्रोजेक्ट है, जिसमें:
- 943 पुल और 36 सुरंगें शामिल हैं।
- इसमें भारत की सबसे लंबी रेलवे सुरंग T-50 (12.77 किमी) भी है।
- कुल लागत 42,000 करोड़ रुपये से अधिक है।
यह प्रोजेक्ट न केवल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देगा, बल्कि यह घाटी के लिए रणनीतिक एसेट भी बनकर उभरेगा। अब सेब उत्पादक और अन्य व्यापारी दिल्ली जैसे बाजारों तक एक ही दिन में अपना सामान भेज सकेंगे।
विकास बनाम आतंकवाद: केंद्र का स्पष्ट संदेश
मोदी सरकार ने 2014 से ही कश्मीर को रेल से जोड़ने को प्राथमिकता दी। सरकार का मानना है कि कनेक्टिविटी के बढ़ने से पर्यटन और व्यापार दोनों को बल मिलेगा, जिससे आतंकवाद को कमजोर किया जा सकेगा।
इस परियोजना का उद्देश्य है कि कश्मीर को न केवल भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ा जाए, बल्कि उसे आत्मनिर्भर और समृद्ध भी बनाया जाए।

एक पुल और उम्मीद की ट्रेन
इस पुल और ट्रेन सेवा से पर्यटन, व्यापार, और रोजमर्रा की जिंदगी में सुधार की बड़ी संभावनाएं हैं। यह लोगों के लिए केवल एक ट्रांसपोर्ट माध्यम नहीं, बल्कि समृद्धि और सुरक्षा का संकेत भी है।
घाटी के लोग अब केवल आतंक के डर से नहीं, बल्कि विकास की उम्मीदों से भी आगे देख रहे हैं। यह पुल अब कश्मीर में एक नई सुबह की दस्तक है।