नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स (NIMAS) की एक टीम ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में 20,942 फीट ऊंची एक अनाम चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की और इसे छठे दलाई लामा त्सांगयांग ग्यात्सो के नाम पर रखने का फैसला किया। यह निर्णय छठे दलाई लामा की बुद्धिमत्ता और मोनपा समुदाय के प्रति उनके गहरे योगदान को सम्मानित करने के लिए लिया गया। NIMAS, रक्षा मंत्रालय के तहत काम करता है और इस अभियान का उद्देश्य न केवल पर्वतारोहण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करना था, बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक प्रतीक को भी उजागर करना था।
हालांकि, भारत के इस कदम से चीन तिलमिला गया। चीन अरुणाचल प्रदेश को अपने क्षेत्र के रूप में देखता है और इस पर्वत का नाम छठे दलाई लामा के नाम पर रखने से वह भड़क उठा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान से जब इस फैसले पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन यह भी जोर दिया कि चीन अरुणाचल प्रदेश, जिसे वे ‘जंगनान’ कहते हैं, को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है। उनका कहना था कि भारत द्वारा इस क्षेत्र में कोई भी गतिविधि अवैध है।
चीन अरुणाचल प्रदेश पर बार-बार दावा करता रहा है, जबकि भारत ने हमेशा इन दावों को खारिज किया है और स्पष्ट रूप से कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। चीन इससे पहले भी अरुणाचल प्रदेश को लेकर कई बार आपत्ति जता चुका है, चाहे वह भारत के प्रधानमंत्री का अरुणाचल प्रदेश दौरा हो या फिर भारत द्वारा इस क्षेत्र में किसी परियोजना का उद्घाटन। चीन ने हाल के वर्षों में अरुणाचल प्रदेश के कई इलाकों का नाम बदलने का भी प्रयास किया है, ताकि अपने दावे को मजबूत कर सके।
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर भी चीन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। भारत ने चीन के हर दावे को खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का हिस्सा रहा है और रहेगा। चीन के इन दावों को भारत ने बार-बार निराधार और अवैध करार दिया है।