Monday, July 7, 2025

भारत-कनाडा के बिगड़ते रिश्ते: क्या जस्टिन ट्रूडो सिख समुदाय की राजनीति के बंधन में हैं?

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India - Canada Image

भारत और कनाडा के संबंधों में हाल के दिनों में तनाव बढ़ता जा रहा है। सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद गहराता जा रहा है। कनाडा ने आरोप लगाया है कि इस हत्या में भारतीय एजेंटों की संलिप्तता हो सकती है, लेकिन भारत ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया है।


भारत ने दिया कड़ा जवाब: छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित किया

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद भारत ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है और उन्हें 19 अक्तूबर तक देश छोड़ने का निर्देश दिया है। इसके पहले, कनाडा ने भी भारत के छह राजनयिकों को निष्कासित किया था। – भारतीय TV

इस घटना से यह साफ हो गया है कि भारत और कनाडा के बीच का राजनयिक संबंध बेहद नाजुक स्थिति में पहुंच चुका है।


हरदीप सिंह निज्जर: कौन थे और क्यों हुई उनकी हत्या?

हरदीप सिंह निज्जर, एक खालिस्तान समर्थक नेता थे, जिनकी 18 जून 2023 को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया स्थित एक गुरुद्वारे की पार्किंग में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। निज्जर खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख थे और भारत ने उन्हें आतंकवादी घोषित किया हुआ था।

निज्जर की हत्या के बाद से ही कनाडा और भारत के बीच राजनयिक तनाव उत्पन्न हुआ है। कनाडा का दावा है कि इस हत्या में भारत की भूमिका हो सकती है, लेकिन भारत ने इसे सिरे से नकार दिया है।


कनाडा का राजनीतिक परिदृश्य और सिख समुदाय का महत्व

कनाडा में सिखों की आबादी करीब 2.1 प्रतिशत है, जो वहां के राजनीतिक समीकरणों में अहम भूमिका निभाती है। जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी को सिखों का समर्थन मिलता रहा है। उनके सहयोगी दल न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह भी खालिस्तान समर्थक माने जाते हैं, जिससे ट्रूडो पर सिख समुदाय का दबाव बना रहता है।

आगामी चुनावों को देखते हुए, ट्रूडो को सिख समुदाय का समर्थन बेहद जरूरी है। इसलिए, इस मुद्दे पर उनकी प्रतिक्रिया को कई लोग राजनीतिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं।


क्या भारत-कनाडा संबंधों में सुधार की उम्मीद?

भारत और कनाडा के बीच जारी आरोप-प्रत्यारोप से यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के संबंधों में जल्द सुधार की संभावना कम है। हालांकि, दोनों ही देशों के बीच व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में मजबूत संबंध हैं, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि इस राजनयिक तनाव का असर इन क्षेत्रों पर कैसे पड़ता है।


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