Monday, July 7, 2025

Supreme Court की सख़्त टिप्पणी: रोहिंग्या निर्वासन पर याचिका को बताया “कल्पना”, राहत देने से इनकार

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Supreme Court ने रोहिंग्या निर्वासन पर दाखिल याचिका को लेकर सख़्त रुख अपनाया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से साक्ष्य मांगे और डिपोर्ट पर अंतरिम रोक से इनकार कर दिया। अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी।

Supreme Court की सख्त टिप्पणी: देश में इतना कुछ हो रहा है, आप नई कहानी लेकर आ जाते हैं

नई दिल्ली:
Supreme Court में रोहिंग्या शरणार्थियों के डिपोर्ट (निर्वासन) को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। अदालत ने इस याचिका को काल्पनिक करार देते हुए याचिकाकर्ताओं से सबूत पेश करने को कहा और अंतरिम राहत देने से मना कर दिया।

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कोर्ट का सवाल: याचिका में किए गए दावों का आधार क्या है?

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताओं के वकील कॉलिन गोंजाल्विस से सवाल पूछा कि आपने जो बातें याचिका में लिखी हैं, उसका आधार क्या है? आपके पास यह जानकारी कहां से आई? क्या आपके पास कोई प्रमाण या रिकॉर्डिंग है?

“हर बार नई कहानी गढ़ लेते हैं”: कोर्ट की नाराज़गी

जस्टिस सूर्यकांत ने सख्त लहज़े में कहा, “आप हर बार एक नई कहानी लेकर आ जाते हैं। इस समय देश एक कठिन दौर से गुजर रहा है, और आप कोर्ट में काल्पनिक कहानियां लेकर आ जाते हैं। अगर आपको इतनी चिंता है, तो गरीबों के लिए कुछ खुद क्यों नहीं करते?”

कोर्ट ने 43 रोहिंग्याओं के डिपोर्ट पर अंतरिम रोक से इनकार किया

याचिका में दावा किया गया था कि भारत सरकार 43 रोहिंग्या शरणार्थियों को जबरन म्यांमार डिपोर्ट कर रही है, जिनमें बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और बीमार लोग शामिल हैं। इस पर कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि वह डिपोर्ट पर फिलहाल कोई रोक नहीं लगाएगा।

अदालत जाने से पहले सबूत इकट्ठा करें: जस्टिस सूर्यकांत

कोर्ट ने कहा कि इस देश में साक्ष्य कानून का एक निर्धारित ढांचा है। बिना ठोस प्रमाण के किसी भी आरोप को गंभीरता से नहीं लिया जा सकता। जस्टिस सूर्यकांत ने दो टूक कहा, “अदालत आने से पहले जानकारी और सामग्री इकट्ठा करें। जो वीडियो या कॉल रिकॉर्ड हैं, उन्हें दिखाएं। बाहर बैठे लोग हमारी संप्रभुता पर आदेश नहीं चला सकते।”

वकील का दावा: “लोगों को अंडमान ले जाकर समुद्र में फेंका गया”

वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने अदालत को बताया कि 38 लोगों को डिपोर्ट किया गया और उन्हें समुद्र में फेंक दिया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि निर्वासित लोगों में से एक ने म्यांमार से कॉल किया था।

कोर्ट का जवाब: म्यांमार से कॉल? पहले जांच कराएं

An Older Man In A Suit And Tie Is Sitting In A Chair

इस पर कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं कि कैसे झारखंड या अन्य जगहों से कॉल्स म्यांमार, दुबई जैसे नंबरों पर दिखाए जाते हैं। यह कहकर कोर्ट ने सरकार को जांच करने की सलाह दी और दोहराया कि केवल कॉल्स या दावों के आधार पर कोर्ट कोई फैसला नहीं सुना सकता।

अगली सुनवाई अब 31 जुलाई को

सुप्रीम कोर्ट ने यह याचिका उसी विषय से जुड़ी पहले से लंबित एक याचिका के साथ जोड़ दी है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 31 जुलाई को होगी।



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Source-indiatv

Written by -sujal

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