Drone War की दस्तक! अब मिसाइल नहीं, स्वार्म ड्रोन से लड़े जाएंगे युद्ध
बदलते युद्ध के मायने: अब मिसाइल नहीं, ड्रोन होंगे निर्णायक

दुनिया के बदलते युद्ध परिदृश्य में एक क्रांतिकारी मोड़ आ चुका है। यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग अब सिर्फ मिसाइलों तक सीमित नहीं रही। 1 जून 2025 को यूक्रेन ने ‘ऑपरेशन स्पाइडर वेब’ नाम से एक ऐतिहासिक हमला किया, जिसमें उसने ड्रोन के झुंड (Swarm Drone) से रूस के वायु ठिकानों को निशाना बनाया।
इस ऑपरेशन में 4000 किलोमीटर दूर साइबेरिया स्थित रूसी एयरबेस तक यूक्रेनी ड्रोन पहुंच गए और वहां 41 बमवर्षक विमानों को नष्ट कर दिया। इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि भविष्य के युद्धों में मिसाइल नहीं बल्कि ड्रोन सबसे बड़े हथियार होंगे।
🇵🇰 भारत-पाकिस्तान संघर्ष में भी ड्रोन की भूमिका
सिर्फ यूक्रेन ही नहीं, बल्कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में भी ड्रोन की निर्णायक भूमिका देखी गई। 7, 8 और 9 मई 2025 को पाकिस्तान ने भारत पर तुर्की निर्मित ‘असिसगार्ड सोंगर’ ड्रोन का इस्तेमाल किया।
ये ड्रोन इंफ्रारेड और डे-लाइट कैमरों से लैस हैं और समुद्र तल से 2800 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकते हैं। इनमें मशीनगन जैसे हथियार, विस्फोटक पे-लोड और ऑटोनोमस कंट्रोल सिस्टम शामिल हैं। ऐसे हमलों ने यह साबित कर दिया कि अब जंग महंगे मिसाइलों की नहीं, बल्कि सटीक और सस्ते ड्रोन की होगी।

AI ड्रोन टेक्नोलॉजी: तीसरे युद्ध की नींव?

आज का युद्ध तकनीक पर निर्भर होता जा रहा है। आने वाली पीढ़ी के ड्रोन AI-संचालित होंगे, जो लक्ष्य चयन, मार्गदर्शन और हमला बिना इंसानी दखल के कर सकेंगे। चीन का Jiu Tian “मदरशिप” ड्रोन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यह एक साथ 100 से ज्यादा AI ड्रोन तैनात कर सकता है, जो अपने निर्णय खुद ले सकते हैं।
जनरल मारिया कोवाक्स ने 2025 में लातविया के रीगा ड्रोन समिट में कहा,
“ड्रोन युद्ध की रणनीतियों को फिर से परिभाषित कर रहे हैं। ये सटीक, स्केलेबल और लागत-कुशल हैं।”
🇮🇳 भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’: बिना दिखे युद्ध!
भारतीय सेना ने भी ड्रोन टेक्नोलॉजी का शानदार इस्तेमाल किया है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना के सस्ते FPV ड्रोन्स ने पाकिस्तान के एयर डिफेंस को इंगेज किया और एडवांस ड्रोन ने उसे निष्क्रिय कर दिया।
यह भारत का पहला युद्ध था, जिसमें दुश्मन से सीधा सामना नहीं हुआ। दुश्मन केवल रडार और सर्विलांस में नजर आया। यह दिखाता है कि भविष्य में फिजिकल बॉर्डर पर युद्ध नहीं, डिजिटल और टेक्निकल लड़ाइयां होंगी।
युद्ध की नैतिकता और जवाबदेही का सवाल
AI आधारित ड्रोन जहां युद्ध को आसान बना रहे हैं, वहीं वे जवाबदेही और नैतिकता पर गंभीर सवाल भी खड़े करते हैं। अगर ड्रोन खुद निर्णय ले और हमला करे, तो गलत लक्ष्य पर हमले की स्थिति में जिम्मेदारी किसकी होगी?
🇷🇺 रूस का ईरान से ड्रोन खरीदना: सच्चाई या मजबूरी?
रूस जैसा सैन्य महाशक्ति देश भी ईरान से शाहेद-136 और 131 ड्रोन खरीद रहा है। ये वही ड्रोन हैं जिन्हें रूस ने यूक्रेन युद्ध में इस्तेमाल किया और बदले में ईरान को 2 बिलियन डॉलर की कीमत चुकाई, वह भी सोने में।
यह दिखाता है कि ड्रोन टेक्नोलॉजी अब केवल अमीर देशों तक सीमित नहीं रही, बल्कि हर देश की युद्ध नीति का हिस्सा बन चुकी है।
मिसाइल vs ड्रोन: कौन सस्ता, कौन असरदार?
यूक्रेन ने 50-60 हजार रुपये के ड्रोन से रूस को 60 हजार करोड़ का नुकसान कर दिया। यानी अगला युद्ध सस्ते हथियार से लड़ा जाएगा, जिससे दुश्मन का महंगा सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर तबाह किया जा सकेगा।
पहले जहां मिसाइल, टैंक और फाइटर प्लेन जैसे महंगे हथियार युद्ध का जरिया थे, अब उसकी जगह ले रहे हैं कम लागत वाले, हाई इम्पैक्ट ड्रोन।
बदलता ड्रोन मार्केट
हमास और यूक्रेन जैसे संगठनों ने ये दिखा दिया कि कम संसाधनों के साथ भी शक्तिशाली दुश्मन को टक्कर दी जा सकती है। ड्रोन तकनीक के तेजी से विस्तार से भविष्य में साइबर सुरक्षा, एंटी-ड्रोन सिस्टम और AI हथियार नियंत्रण प्रणाली जैसे क्षेत्र भी विकसित होंगे।
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