रूस के कजान शहर में बुधवार को 16वें BRICS समिट की क्लोज प्लेनरी (बंद कमरे) मीटिंग हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बात रखते हुए वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों पर जोर दिया। उन्होंने आतंकवाद को दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना आवश्यक है। पीएम मोदी ने कहा कि BRICS देशों को मिलकर आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने चाहिए और इस संदर्भ में दोहरे मापदंडों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन
रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास की जंग का जिक्र करते हुए PM मोदी ने कहा, “हम युद्ध नहीं, डायलॉग और डिप्लोमेसी का समर्थन करते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह हम सभी ने मिलकर कोविड जैसी चुनौती को परास्त किया, उसी तरह हमें एकजुट होकर भावी पीढ़ी के सुरक्षित, सशक्त और समृद्ध भविष्य के लिए नए अवसर पैदा करने में पूरी तरह सक्षम होना चाहिए। उनका यह बयान दर्शाता है कि BRICS के सदस्य देश किस तरह एक साझा दृष्टिकोण के साथ विश्व को स्थिरता और शांति का संदेश देना चाहते हैं।
विश्व चुनौतियों का सामना
मोदी ने कहा, “हमारी बैठक एक ऐसे समय में हो रही है जब विश्व युद्धों, संघर्षों, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।” उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था में महंगाई की रोकथाम, फूड सिक्योरिटी, एनर्जी सिक्योरिटी, और हेल्थ सिक्योरिटी को प्राथमिकता के विषय बताते हुए कहा कि यह सभी विषय सभी देशों के लिए आवश्यक हैं। इसके साथ ही, टेक्नोलॉजी के युग में साइबर सिक्योरिटी और डिसइंफॉर्मेशन जैसी नई चुनौतियों का भी सामना करना आवश्यक है। इस संदर्भ में, BRICS से जुड़े देशों के लिए एकजुट होकर काम करना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है।
BRICS का जनहितकारी दृष्टिकोण
प्रधानमंत्री ने कहा, “ब्रिक्स सभी विषयों पर सकारात्मक भूमिका अदा कर सकता है।” उनका मानना है कि BRICS को एक विविध और समावेशी प्लेटफॉर्म के रूप में स्थापित करना चाहिए, जहाँ सभी सदस्य देशों का दृष्टिकोण और विचारों का सम्मान किया जाए। उन्होंने जोर दिया कि हमारा नजरिया पीपल सेंट्रिक रहना चाहिए और हमें विश्व को यह संदेश देना चाहिए कि BRICS एक विभाजनकारी समूह नहीं, बल्कि जनहितकारी समूह है।
आतंकवाद और टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ एकजुटता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद और टेरर फाइनेंसिंग के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हम सभी को एक मत होकर दृढ़ता से सहयोग देना होगा।” उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। पीएम मोदी ने विभिन्न देशों के युवाओं में रैडिकलाइजेशन (Radicalization) को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आह्वान किया। इसके साथ ही, संयुक्त राष्ट्र में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन के पेंडिंग मुद्दे पर मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
ब्रिक्स के नए सदस्यों का स्वागत
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान ब्रिक्स के नए सदस्यों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत नए देशों का BRICS पार्टनर देश के रूप में स्वागत करता है। उन्होंने इस संबंध में सर्वसम्मति से निर्णय लेने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि BRICS के संस्थापक देशों के विचारों का सम्मान होना चाहिए। जोहानेसबर्ग समिट में जो दिशा-निर्देश, नियम-कायदे और प्रक्रिया अपनाई गई थी, उनका पालन सभी सदस्य और पार्टनर देशों को करना चाहिए।
UNSC में सुधार की आवश्यकता
मोदी ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, “हमें समयबद्ध तरीके से वैश्विक संस्थानों में सुधार के लिए आगे बढ़ना चाहिए।” यह सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि BRICS के प्रयासों को आगे बढ़ाते हुए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस संगठन की छवि ऐसी न बने कि हम ग्लोबल इंस्टीट्यूशन में रिफॉर्म नहीं, बल्कि उन्हें रिप्लेस करना चाहते हैं।
BRICS की आर्थिक क्षमता
PM मोदी ने कहा कि BRICS आज विश्व की 40% मानवता और करीब 30% इकोनॉमी का प्रतिनिधित्व करता है। पिछले दो दशकों में संगठन ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं और नए स्वरूप में यह 30 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की इकोनॉमी है। यह संगठन वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम है और सदस्य देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
UPI पेमेंट्स की उपलब्धि
PM मोदी ने UPI पेमेंट्स को भारत की एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि भारत, BRICS देशों के साथ UPI सिस्टम शेयर करने के लिए तैयार है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि दूसरे देशों ने भी इसे अपनाया है और यह एक उपयोगी टूल साबित हो सकता है।
BRICS स्पिरीट को आगे बढ़ाना
मोदी ने कहा, “BRICS समूह की विविधता और सर्वसम्मति से आगे बढ़ने की परंपरा हमारे सहयोग का आधार हैं। हमें इस स्पिरीट को आगे बढ़ाना होगा।” उनका मानना है कि विविधता, सम्मान, और सहयोग की यह भावना अन्य देशों को भी इस फोरम की ओर आकर्षित कर रही है।
BRICS का इतिहास
ब्राजील, रूस, भारत और चीन के नेताओं की सेंट पीटर्सबर्ग में 2006 में हुई बैठक के बाद एक औपचारिक समूह के रूप में ‘ब्रिक’ की शुरुआत हुई। 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के साथ यह ‘ब्रिक्स’ बना। पिछले साल समूह का विस्तार किया गया, जो 2010 के बाद पहली ऐसी कवायद थी। BRICS के नए सदस्य देशों में मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं।
Source – NDTV india