सिंधु जल पर भारत का सख्त निर्णय, पाकिस्तान ने खत लिखकर लगाई गुहार
नई दिल्ली:
Indus Waters Treaty : भारत द्वारा ऑपरेशन सिंदूर के तहत की गई कड़ी कार्रवाई और सिंधु जल संधि को स्थगित किए जाने के फैसले से पाकिस्तान बुरी तरह से घबरा गया है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपील करने के बाद अब उसने सीधे भारत से संपर्क कर इस संधि को बहाल करने की विनती की है।
पाकिस्तान ने जताई चिंता, भारत से की अपील
Indus Waters Treaty : पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय ने भारत सरकार को एक पत्र भेजा है जिसमें सिंधु जल संधि को फिर से लागू करने की मांग की गई है। उनका कहना है कि इस फैसले से पाकिस्तान में जल संकट गहराएगा और हालात बिगड़ सकते हैं।

भारत ने दिखाई सख्ती, नहीं मानी पाकिस्तान की बात
हालांकि, भारत ने पाकिस्तान की इस अपील पर कोई नरमी नहीं दिखाई। सूत्रों के अनुसार, भारत की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देना बंद नहीं करता, तब तक इस संधि को लागू नहीं किया जाएगा।
पीएम मोदी ने दिया स्पष्ट संदेश – खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते
12 मई को राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक कहा,
“खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”
यह बयान भारत के रुख को दर्शाता है – आतंकवाद के साथ कोई समझौता नहीं होगा।

उन्होंने यह भी कहा,
“पाकिस्तानी सेना और सरकार जिस तरह से आतंकवाद को समर्थन दे रही है, वह एक दिन उन्हें खुद ही तबाह कर देगा। पाकिस्तान को अगर बचना है तो आतंकवाद के ढांचे को नष्ट करना होगा, शांति का कोई और रास्ता नहीं है।”
विदेश मंत्रालय ने दोहराया – कोई बदलाव नहीं
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी साफ किया कि भारत की ओर से लगाए गए कूटनीतिक और आर्थिक प्रतिबंध अभी भी लागू हैं। उन्होंने कहा कि यह संधि मित्रता और सद्भावना के आधार पर हुई थी, लेकिन पाकिस्तान ने इन सिद्धांतों की अवहेलना की है। ऐसे में भारत अब सिंधु जल को लेकर अपने अधिकारों का पूर्ण उपयोग करेगा।
भारत बना रहा है नए जल उपयोग की योजनाएं
भारत ने अब तीन नदियों – रावी, ब्यास और सतलज – के जल के उपयोग की रणनीति बना ली है। इस दिशा में कार्य भी प्रारंभ कर दिया गया है। इसके साथ ही मध्यम और दीर्घकालिक योजनाओं को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है ताकि पाकिस्तान को मिलने वाले पानी पर निर्भरता खत्म की जा सके।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद सख्त हुई भारत सरकार
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा 26 पर्यटकों की निर्मम हत्या के बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाया। इसी के तहत सबसे पहले सिंधु जल समझौते को स्थगित किया गया और पाकिस्तान के खिलाफ राजनयिक दबाव भी बढ़ाया गया।
संधि का ऐतिहासिक संदर्भ
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। इस संधि के तहत सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलज नदियों का जल बंटवारा हुआ था। लेकिन अब भारत ने इस संधि पर पुनर्विचार करते हुए आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपना लिया है।
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