Iran के शीर्ष वैज्ञानिक अब्बासी की हत्या: इजरायल के हमले से हिला परमाणु कार्यक्रम, जानें कौन थे फेरेदून अब्बासी

तेहरान:
ईरान के सबसे प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों में शुमार डॉ. फेरेदून अब्बासी की मौत की खबर ने एक बार फिर मिडिल ईस्ट को युद्ध के मुहाने पर ला खड़ा किया है। अब्बासी की हत्या इजरायली हमलों के बाद हुई, जो ईरान के संवेदनशील न्यूक्लियर फैसिलिटीज़ पर किए गए। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बयान में कहा – “अगर हम हमला नहीं करते, तो मारे जाते।” लेकिन सवाल यह उठता है – क्या अब्बासी वाकई परमाणु बम बना रहे थे?
अब्बासी: ईरान के ‘एक्यू खान’
अब्बासी को ईरान का एक्यू खान माना जाता है – वही एक्यू खान जिन्होंने पाकिस्तान को परमाणु शक्ति बनाया था। अब्बासी ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं और लगभग दो दशकों से ईरान के परमाणु कार्यक्रम की रीढ़ रहे हैं।
उनका कहना रहा है कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह “शांतिपूर्ण उद्देश्य” के लिए है। हालांकि उन्होंने कई बार यह भी कहा कि अगर राष्ट्र को ज़रूरत पड़ी, तो वे परमाणु बम बनाने में पीछे नहीं हटेंगे।

“अगर कहा गया, तो बम बनाऊंगा” – अब्बासी
मई 2024 में दिए एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या वो परमाणु हथियार बनाने में मदद करेंगे? तो अब्बासी ने साफ कहा, “अभी हमें ऐसा करने का आदेश नहीं मिला है, लेकिन अगर कहा गया, तो मैं जरूर बनाऊंगा।”
इस बयान ने न सिर्फ इजरायल बल्कि पश्चिमी देशों में भी हलचल मचा दी थी। अब्बासी हमेशा पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों को “ईरान की वैज्ञानिक प्रगति रोकने की साजिश” बताते रहे हैं।
मौत से पहले चेतावनी: बम ‘दवा’ है दुश्मनों के लिए

अब्बासी का एक बयान चर्चित है:
“अगर आप चाकू से संतरा छील सकते हैं, तो किसी को मार भी सकते हैं।”
उनका मानना था कि परमाणु तकनीक एक बहुउपयोगी साधन है – जो खेती, चिकित्सा, और ऊर्जा के लिए उपयोगी है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर “दुश्मनों के लिए दवा” भी बन सकती है।
अकादमिक से आतंक के निशाने तक

अब्बासी न केवल एक वैज्ञानिक थे, बल्कि शाहिद बेहेश्ती यूनिवर्सिटी में न्यूक्लियर इंजीनियरिंग के प्रोफेसर भी थे। उन्होंने छात्रों के लिए रिसर्च को बढ़ावा दिया और ईरानी युवाओं को अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी में दक्ष बनाने का अभियान चलाया।
2010 में बचे थे बाल-बाल
अब्बासी को 2010 में एक मोटरसाइकिल सवार द्वारा किए गए बम हमले में निशाना बनाया गया था। इस हमले के पीछे भी इजरायल की माने जाने वाली खुफिया एजेंसी मोसाद का हाथ बताया गया था। वह बच तो गए, लेकिन तब से उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता बनी रही।
2025 में अब्बासी की मौत: इजरायली हमलों की बड़ी सफलता
हाल ही में इजरायली सेनाओं ने ईरान की नातांज़ और इस्फहान स्थित परमाणु ठिकानों पर हमले किए। इसमें फेरेदून अब्बासी की मौत हो गई। अब्बासी की हत्या को “टारगेटेड किलिंग” माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को पीछे धकेलना है।
संयुक्त राष्ट्र की नजरों में प्रतिबंधित वैज्ञानिक
अब्बासी पर UN Security Council की तरफ से भी प्रतिबंध था। उन्होंने कई बार इस प्रतिबंध को “राजनीतिक और अन्यायपूर्ण” करार दिया। फिर भी उन्होंने अपने देश के लिए काम करना नहीं छोड़ा। उनका मानना था कि वैज्ञानिक ज्ञान और सैन्य शक्ति के बीच संतुलन जरूरी है।
अब्बासी की आखिरी बात: “हमारा काम जारी रहेगा”
अपनी मौत से कुछ दिन पहले, अब्बासी ने एक इंटरव्यू में कहा था,
“अगर मैं मर भी जाऊं, तो ये काम रुकने वाला नहीं है। युवा पीढ़ी हमारे काम को आगे बढ़ाएगी।”
यह बयान अब ईरान में उनके समर्थकों द्वारा एक नायक की तरह दोहराया जा रहा है।
क्या अब युद्ध तय है?
अब्बासी की मौत के बाद ईरान और इजरायल के बीच तनाव और बढ़ गया है। जहां इजरायल इसे अपनी रक्षात्मक कार्यवाही बता रहा है, वहीं ईरान इसे युद्ध की सीधी चुनौती मान रहा है।
ईरानी रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में बड़ा बदला लिया जा सकता है।