Monday, July 7, 2025

mumbai local ट्रेन हादसों पर हाईकोर्ट की सख्ती – क्या ऑटोमेटिक गेट रोक पाएंगे मौत?

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mumbai local ट्रेनों में हो रही दुर्घटनाओं पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने जताई चिंता। ऑटोमेटिक दरवाजों और हाईटेक बदलावों पर रेलवे की नई योजना। क्या ये उपाय यात्रियों की जान बचा पाएंगे?

mumbai local ट्रेन: ‘लाइफलाइन’ या ‘डेडलाइन’? यात्रियों की मौत पर बढ़ती चिंता

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mumbai local ट्रेनें हमेशा से देश की आर्थिक राजधानी की ‘लाइफलाइन’ मानी जाती रही हैं। लेकिन बढ़ती भीड़ और लगातार हो रहे हादसों ने अब इसे ‘डेडलाइन’ बना दिया है। रोजाना लाखों लोग इन ट्रेनों से सफर करते हैं, लेकिन हर दिन औसतन 6 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।

कोर्ट की फटकार और रेलवे की नई रणनीति

बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में मुंबई लोकल ट्रेनों में हो रहे हादसों पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने सेंट्रल रेलवे को सुझाव दिया कि ऑटोमेटिक दरवाजों के विकल्प पर गंभीरता से विचार किया जाए। कोर्ट का ये आदेश तब आया जब 5 लोगों की जान एक ही दिन में ट्रेन से गिरने की वजह से चली गई।

रेलवे ने आश्वासन दिया कि नए कोच में ऑटोमेटिक दरवाजे, रूफ माउंटेड वेंटिलेशन और यात्रियों के बीच समान बंटवारे के लिए वेस्टिब्यूल कनेक्शन जैसी हाईटेक सुविधाएं जोड़ी जाएंगी।


क्या नॉन-AC लोकल ट्रेनों में तकनीकी बदलाव मुमकिन हैं?

Bombay High Court Flags 'Alarming' Local Train Deaths, Suggests Automatic  Doors For Mumbai Locals
Mumbai Local ट्रेन हादसों पर हाईकोर्ट की सख्ती – क्या ऑटोमेटिक गेट रोक पाएंगे मौत? 7

महाराष्ट्र रेलवे प्रवासी संघटना ने ऑटोमेटिक दरवाजों को ‘कल्पना’ करार देते हुए कहा कि नॉन-AC लोकल ट्रेनों में यह तकनीक लागू कर पाना बेहद मुश्किल है। भारी भीड़, पुराना डिज़ाइन और वेंटिलेशन की ज़रूरत इसे टेक्निकली चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।

फिर भी, रेलवे ने जनवरी 2026 तक दो प्रोटोटाइप ट्रेनें तैयार करने का ऐलान किया है। ये ट्रेनें नए डिजाइन के साथ आएंगी और हादसों की रोकथाम में मदद करेंगी।


चेन्नई की ICF तैयार कर रही नया मॉडल

चेन्नई स्थित इंटेग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) मुंबई लोकल के लिए एक नया डिज़ाइन तैयार कर रही है। इसमें लूवर्स लगे ऑटोमेटिक दरवाज़े, बेहतर वेंटिलेशन, वेस्टिब्यूल कनेक्शन, नया सीटिंग लेआउट और इलेक्ट्रिकल संरचना शामिल होगी।

ICF के जीएम यू सुब्बा राव के अनुसार, ये नया मॉडल यात्रियों की सुरक्षा और आराम दोनों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जा रहा है।


रेलवे की प्राथमिकता – सुरक्षा और सुविधा का संतुलन

रेलवे के CPRO स्वप्निल नीला का कहना है कि यह परिवर्तन सिर्फ एक टेक्नोलॉजिकल अपग्रेड नहीं है, बल्कि सुरक्षा की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। नवंबर 2025 तक डिजाइन फाइनल होगा और अगले साल मुंबई में दो प्रोटोटाइप ट्रेनें दौड़ेंगी।

साथ ही रेलवे बोर्ड ने 80,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स पर भी काम शुरू किया है, जिससे ट्रेनों की संख्या और सुविधाएं दोनों बढ़ेंगी।


क्या बारिश में थम जाएगा लोकल ट्रेनों का पहिया?

मुंबई में हर मानसून में ट्रेनों की रफ्तार धीमी हो जाती है। लेकिन वेस्टर्न रेलवे ने इस बार एडवांस तैयारी की है। हाई डेफिनिशन कैमरों से ड्रेनेज की जांच, सफाई और मरम्मत का काम पहले से किया गया है ताकि पानी जमा न हो और ट्रेनों की सेवाएं निर्बाध चलती रहें।


बुजुर्गों के लिए अलग कोच, महिलाओं के लिए सुरक्षित व्यवस्था

वेस्टर्न रेलवे CPRO विनीत अभिषेक ने बताया कि लोकल ट्रेनों में बुजुर्ग यात्रियों के लिए लगेज कोच को मॉडिफाई कर स्पेशल कंपार्टमेंट बनाया गया है। इस सुविधा को आने वाले साल में सभी ट्रेनों में लागू किया जाएगा।


हादसों का आंकड़ा डरावना, लेकिन उम्मीद बाकी है

मुंबई में हर दिन औसतन 6 लोग लोकल ट्रेन से गिरकर या दुर्घटनाग्रस्त होकर जान गंवा देते हैं। चाहे वो दरवाज़ों से लटकना हो, धक्का-मुक्की या ज्यादा भीड़ – हर कारण कहीं न कहीं सिस्टम और अव्यवस्था की पोल खोलता है।

लेकिन अब जब कोर्ट सख्त है और रेलवे भी तकनीकी बदलावों के लिए प्रतिबद्ध दिख रहा है, उम्मीद की जा सकती है कि मुंबईकरों को एक सुरक्षित लोकल सेवा जल्द मिलेगी।


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