नई दिल्ली: -इजरायल और हमास के बीच जारी संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। इजरायल का गाज़ा पर आक्रमण लगातार जारी है, जिसके परिणामस्वरूप वहां के हालात अत्यंत भयावह हो गए हैं। इस स्थिति में, इजरायली सैनिकों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। उन्होंने सरकार के सामने एक महत्वपूर्ण मांग रखी है—अगर बंधकों की रिहाई के लिए कोई डील नहीं की जाती, तो वे लड़ाई में शामिल होने से इनकार कर देंगे। अब तक इस मुहिम में 150 से ज्यादा सैनिक शामिल हो चुके हैं, जिनमें कुछ महिला सैनिक भी शामिल हैं।
सैनिकों की बढ़ती नाराज़गी
येरुसेलम पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल के सैनिक जो विदेशी धरती पर जंग लड़ रहे हैं, ने सरकार से बंधकों की रिहाई के लिए ठोस प्रयास करने की अपील की है। इस संबंध में एक सार्वजनिक ज्ञापन तैयार किया गया है, जिसमें सैनिकों ने हस्ताक्षर करने के लिए आमंत्रित किया है। इन सैनिकों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तो वे देश की सेवा करने के अपने कर्तव्यों से पीछे हट सकते हैं।
बेंजामिन नेतन्याहू से सीधी मांग
यह ज्ञापन इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, रक्षामंत्री योव गैलेंट, और सेना प्रमुख हेरजी हलेवी को भेजा गया है। ज्ञापन में सैनिकों ने स्पष्ट कहा है कि अगर सरकार ने बंधकों की रिहाई के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे अपनी सेवाएं जारी नहीं रख पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि गाज़ा में जारी युद्ध बंधक बने उनके भाई-बहनों के लिए खतरा बन चुका है।
युद्ध का नया मोर्चा
इजरायली सैनिकों का मानना है कि यदि सरकार ने इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया, तो उनकी ताकत और हौसला टूट सकता है। उनके लिए यह संघर्ष केवल देश की रक्षा करने का नहीं, बल्कि अपने बंधकों को वापस लाने का भी है। ज्ञापन में यह स्पष्ट किया गया है कि बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत शुरू करने का दबाव बढ़ रहा है।
नागरिकों की भावनाएं
इजरायली नागरिकों में भी इस स्थिति को लेकर चिंता बढ़ रही है। लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या उनकी सरकार अपने सैनिकों और नागरिकों के लिए उचित कदम उठा रही है। कई परिवार अपने बंधकों की रिहाई के लिए सरकार से शीघ्र कार्रवाई की अपील कर रहे हैं। ऐसे में, इजरायली सरकार के लिए यह स्थिति एक गंभीर चुनौती बन गई है, जिसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाना आवश्यक हो गया है।