Pakistan Water भारत से उलझना पड़ा भारी, बिना पानी फड़फड़ाने लगा PAK, 2 दिन में सूख गई चिनाब; अब कैसे करें फसलों की बुवाई?
भारत की वॉटर स्ट्राइक से पाकिस्तान में मचा हड़कंप

भारत ने हाल ही में अपनी नीति में बड़ा बदलाव करते हुए सिंधु जल संधि को व्यवहार में नहीं लाने का फैसला किया है। इसके तहत भारत ने चिनाब नदी के जल प्रवाह को अचानक कम कर दिया, जिससे पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हाहाकार मच गया है। खेतों में दरारें पड़ गई हैं, नहरें सूख गई हैं और किसान सिंचाई के लिए तरस रहे हैं।
यह कदम भारत ने उस समय उठाया जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ, जिसमें भारतीय जवान शहीद हुए। इसके अगले ही दिन केंद्र सरकार ने दो टूक कहा, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।”
शहबाज शरीफ की गुहार: दुशांबे से लगाई दुनिया से मदद की पुकार
पानी संकट से जूझते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में हुए ग्लेशियर संरक्षण सम्मेलन में यह मामला उठाया। उन्होंने दुनिया को बताया कि भारत ने सिंधु जल संधि को तोड़ते हुए चेनाब नदी का बहाव लगभग रोक दिया है, जिससे पाकिस्तान में जल संकट पैदा हो गया है।
इस दौरान शरीफ ने भारत के निर्णय को “गंभीर मानवीय संकट की ओर बढ़ता कदम” बताया और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की।

पाकिस्तान के आरोप: 2 दिन में चिनाब नदी लगभग सूखी

पाकिस्तान की जल और विद्युत विकास प्राधिकरण (WAPDA) के अनुसार, 29 मई को चिनाब नदी पर बने माराला हेडवर्क्स पर बहाव 98,200 क्यूसेक था, जो 1 जून तक गिरकर मात्र 7,200 क्यूसेक रह गया। यह गिरावट न केवल हैरान करने वाली है बल्कि पाकिस्तान के लिए कृषि आपदा से कम नहीं है।
सिंधु नदी, झेलम और अब चेनाब—तीनों नदियों के जल प्रवाह में कटौती पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी है।
IRSA की चिंता: खरीफ फसलें और मंगला डैम पर संकट

इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) ने भी स्थिति को बेहद चिंताजनक बताया है। प्रवक्ता खालिद इदरीस राणा ने कहा कि अगर यही स्थिति रही तो न केवल चावल जैसी खरीफ फसलें प्रभावित होंगी, बल्कि मंगला डैम का जल स्तर भी खतरनाक रूप से गिर सकता है।
उन्होंने कहा कि इस स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार को तुरंत कदम उठाने होंगे, अन्यथा पूरा कृषि तंत्र चरमरा सकता है।
भारत का रुख: अब ‘खून और पानी’ एक साथ नहीं बहेंगे
भारत ने पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट और मजबूत संदेश दिया। केंद्रीय मंत्री ने बयान में कहा कि जब पाकिस्तान आतंकवाद के जरिए भारत में खून बहा रहा है, तो उसे पानी देना तर्कसंगत नहीं।
सिंधु जल संधि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई थी, जिसके तहत भारत ने तीन पूर्वी नदियों का अधिकार अपने पास रखा और तीन पश्चिमी नदियों का जल पाकिस्तान को दिया गया। अब भारत इसे खत्म करने की ओर बढ़ चुका है।
पंजाब प्रांत की खेती पर असर
चेनाब नदी पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की कृषि की जीवनरेखा मानी जाती है। इस नदी से निकलने वाली अपर चेनाब और बीआरबी नहरें हजारों एकड़ जमीन को सींचती हैं। लेकिन अब पानी के बहाव में आई तेज गिरावट से फसलें सूख रही हैं, खेत दरारों से भर गए हैं और किसान चिंतित हैं कि बुवाई कैसे करेंगे।
गर्मियों में तापमान 45 डिग्री से ऊपर जा रहा है और ऊपर से पानी की कमी—यह पाकिस्तान के लिए दोहरी आपदा बन चुका है।
दुनिया क्या कह रही है?
दुनियाभर की पर्यावरण संस्थाएं इस मामले को लेकर सतर्क हैं लेकिन अभी तक किसी ने भी भारत के फैसले पर सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी है। भारत की यह कार्रवाई पूरी तरह संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी है, इसलिए कोई भी देश इसे दबाव में लाने की स्थिति में नहीं है।
बीबीसी, CNN और अल-जज़ीरा जैसे मीडिया आउटलेट्स इस मुद्दे को कवर कर रहे हैं लेकिन भारत की तरफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन ज्यादा दिखाई दे रहा है।
पाकिस्तान की अगली रणनीति क्या होगी?
अब सवाल है कि पाकिस्तान क्या करेगा?
- अंतरराष्ट्रीय मंचों का सहारा ले सकता है
- ICJ (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) में शिकायत दर्ज करा सकता है
- भारत पर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश करेगा
लेकिन यह भी साफ है कि अगर पाकिस्तान अपनी आतंकवादी नीतियों पर लगाम नहीं लगाता, तो भारत का यह “वॉटर स्ट्राइक” स्थायी रूप से उसकी कृषि व्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकती है।
क्या पाकिस्तान सुधरेगा या और बड़ी आपदा झेलेगा?
भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दे दिया है। आतंकवाद और कूटनीति एक साथ नहीं चल सकते। जल कूटनीति को अब भारत अपने राष्ट्रीय सुरक्षा का हिस्सा मानता है। पाकिस्तान अगर वाकई संकट से बाहर निकलना चाहता है, तो उसे अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करना होगा।
आखिर में यह भारत के लिए भी एक परीक्षा है कि कैसे वह कूटनीतिक तौर पर दबाव बनाए रखते हुए अपने संसाधनों का सही उपयोग करे।