Monday, July 7, 2025

Threatens Iran “सब कुछ नष्ट हो जाएगा” – जानिए अमेरिका और इज़रायल की रणनीति

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Donald Trump Threatens Iran: ट्रंप ने ईरान को दी खुली धमकी—"इससे पहले कि कुछ बचे, सौदा कर लो"। क्या शुरू होने वाला है बड़ा हमला? जानिए अमेरिका-ईरान तनाव की पूरी कहानी।

ईरान को ट्रंप की सीधी चेतावनी: “बहुत देर हो जाएगी अगर अब भी नहीं सुधरे!”

वॉशिंगटन/तेहरान:
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपनी आक्रामक शैली में अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया है। इस बार उनका निशाना बना है ईरान। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट डालकर ईरान को सीधे-सीधे धमकी दी है।

यह पोस्ट ऐसे समय आया है जब ईरान और इज़रायल के बीच तनाव चरम पर है और मध्य पूर्व पहले ही युद्ध के मुहाने पर खड़ा है। ट्रंप की धमकी ने इस संकट को और गहरा कर दिया है।


क्या बोला ट्रंप? “अब कुछ भी न बचे, इससे पहले…”

ट्रंप ने अपने बयान में लिखा:

“मैंने ईरान को सौदा करने के लिए कई मौके दिए। मैंने कहा – तुरंत करो। लेकिन वे नहीं माने। अब जो होने वाला है वो उनकी सोच से कहीं ज़्यादा बुरा होगा। अमेरिका के पास दुनिया का सबसे घातक सैन्य उपकरण है और इज़रायल के पास उसका भंडार है। और वे इसे इस्तेमाल करना जानते हैं।”

ट्रंप ने अपने अंदाज़ में साफ कर दिया कि अगर ईरान अब भी नहीं सुधरा, तो इतिहास का सबसे भयानक हमला उसका इंतज़ार कर रहा है।

Donald Trump
Donald Trump Threatens Iran

कट्टरपंथियों की मौत का किया दावा

ट्रंप यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे लिखा:

“कुछ ईरानी कट्टरपंथियों ने बहादुरी दिखाई, लेकिन अब वे सभी मर चुके हैं। और अगली बार तो हालात और भी ज़्यादा खराब होंगे।”

इस बयान से साफ जाहिर होता है कि ट्रंप अब कूटनीतिक भाषा से आगे बढ़ चुके हैं और सीधे युद्ध के संकेत दे रहे हैं।


क्या इज़रायल के ज़रिए हमला करेगा अमेरिका?

ट्रंप की पोस्ट में खास बात यह है कि उन्होंने इज़रायल के सैन्य भंडार और क्षमताओं का जिक्र किया है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप अमेरिका को सीधे युद्ध में घसीटने से बचाना चाहते हैं, लेकिन इज़रायल को खुली छूट देने का समर्थन कर रहे हैं। इज़रायल लंबे समय से ईरान की परमाणु परियोजनाओं को रोकना चाहता है और इसके लिए वह लगातार हमला करने के मूड में रहा है।

लेकिन अब तक अमेरिका की सहमति के बिना वह खुला हमला नहीं कर पाया। ट्रंप का यह पोस्ट इज़रायल के लिए “ग्रीन सिग्नल” हो सकता है।


ईरान के पास क्या विकल्प बचे हैं?

ट्रंप के संदेश में एक आखिरी चेतावनी भी छुपी है:

“अब भी समय है। इससे पहले कि कुछ भी न बचे, सौदा कर लो। जो ईरानी साम्राज्य के नाम से जाना जाता था, उसे बचा लो।”

यह लाइन सीधे तौर पर ईरान के राष्ट्रवाद, उसकी ऐतिहासिक पहचान और सैन्य संरचना को चुनौती देती है।
यह एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक जंग है, जिसमें ट्रंप ईरान को आत्मसमर्पण के लिए विवश करना चाहते हैं।

Donald Trump
Donald Trump Threatens Iran

चुनावी रणनीति भी हो सकती है ये धमकी

ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका में चुनावी हलचल तेज हो चुकी है। वे फिर से राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

ट्रंप पहले भी चुनाव से पहले कड़े बयानों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘मजबूत नेता’ की छवि बनाने में माहिर रहे हैं।
ईरान पर दबाव बनाकर वे “अमेरिका फर्स्ट” और “मुस्लिम कट्टरपंथियों पर कड़ा रुख” जैसे अपने पुराने एजेंडों को दोहराना चाहते हैं।


ईरान की चुप्पी क्या बताती है?

ट्रंप की धमकी के बाद अब तक ईरान की तरफ से कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है।

माना जा रहा है कि तेहरान फिलहाल हालात का विश्लेषण कर रहा है और अपनी राजनीतिक तथा कूटनीतिक चालों पर विचार कर रहा है।
लेकिन इतना तय है कि अगर हमला हुआ तो ईरान भी चुप नहीं बैठेगा।


Donald Trump
Donald Trump Threatens Iran

क्या यह परमाणु युद्ध की ओर इशारा है?

ईरान का परमाणु कार्यक्रम लंबे समय से पश्चिमी देशों के निशाने पर रहा है। अमेरिका, इज़रायल और अन्य यूरोपीय देश चाहते हैं कि ईरान अपनी परमाणु गतिविधियों पर रोक लगाए।

लेकिन तेहरान बार-बार यह कह चुका है कि उसका कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है।

ट्रंप के हालिया बयान से यह संकेत मिलते हैं कि अगर ईरान समझौते पर वापस नहीं आता, तो इज़रायल या अमेरिका की तरफ से परमाणु ठिकानों पर हमले की पूरी योजना तैयार है।


ट्रंप बनाम बाइडेन: रणनीति में अंतर

ट्रंप जहां आक्रामक नीति के लिए जाने जाते हैं, वहीं मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन अब तक राजनयिक तरीकों को प्राथमिकता देते रहे हैं।

लेकिन ट्रंप का यह बयान अमेरिकी राजनीति में दबाव बना सकता है और बाइडेन प्रशासन को भी कड़े कदम उठाने पर मजबूर कर सकता है।


निष्कर्ष: क्या युद्ध अब अनिवार्य हो गया है?

डोनाल्ड ट्रंप की इस धमकी ने निश्चित ही दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में चिंता बढ़ा दी है।

भले ही यह एक चुनावी रणनीति हो या वास्तविक सैन्य योजना – इसकी भाषा और समय गंभीर संकेत दे रहे हैं।

यदि ईरान ट्रंप की चेतावनी को नजरअंदाज करता है, तो इज़रायल द्वारा हमला लगभग तय माना जा रहा है – और अमेरिका उसके पीछे खड़ा रहेगा।

अब यह ईरान पर निर्भर है कि वह सौदे की मेज़ पर वापस आता है या युद्ध की आग में कूद पड़ता है।


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